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ब्रह्माकुमारी संस्थान में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 1800 लोग फंसे, बोले- हमको घर पहुंचा दो - brahmakumari Institute in sirohi

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 1800 लोग सिरोही में फंसे हुए हैं. ऐसे में अब इन लोगों की मुसीबतें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. लेकिन सबसे बड़ी मुसीबत उनको है, जो किसान हैं.

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सिरोही में कई प्रदेशों के करीब 1800 लोग फंसे...

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Published : Apr 21, 2020, 8:18 PM IST

Updated : May 23, 2020, 8:14 PM IST

सिरोही.बीते 28 दिन से आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान में करीब 1800 लोग फंसे हुए हैं. वे संस्थान के योग शिविर में भाग लेने आये थे, परन्तु कार्यक्रम कैंसल होने के कारण 23 मार्च को वापस जाने का रिजर्वेशन था. ऐसे में लॉकडाउन लागू होने के चलते उनके टिकट कैंसिल हो गए और वे लोग वहीं फंस गए.

सिरोही में कई प्रदेशों के करीब 1800 लोग फंसे...

दरअसल, सिरोही जिले आबूरोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में करीब एक महीने पहले महाराष्ट्र, तेलंगाना और आन्ध्र प्रदेश से करीब पांच हजार लोग आए थे, लेकिन उसमें तीन हजार चले गये और दो हजार लोग फंस गए. किसानों तथा अन्य लोगों के रहने खाने और पीने की पूरी सुविधा तो ब्रह्माकुमारीज संस्थान उपलब्ध करा रहा है. लेकिन ज्यादा चिंता उन्हें अपने आजीविका यानि खेती की है.

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किसानों का कहना है कि साल की पहली खेती पानी के कारण चली गई और दूसरी खेती अब पक चुकी है. यदि समय पर कटाई नहीं हुई तो हम बर्बाद हो जाएंगे. बहुत सारे ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर फसल लगाई है. अगर ऐसे में यदि किसानों को जल्द उनके घर नहीं भेजा गया तो उन्हें बर्बाद होने से कोई रोक नहीं सकता.

जनप्रतिनिधियों को भी लिखा पत्र...

ब्रह्माकुमारीज संस्थान ने गृहमंत्री अमित शाह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखकर उन्हें उनके घर बुलाने के लिए पत्र लिखा है. साथ ही रेलवे मंत्रालय को एक पत्र लिखकर एक विशेष ट्रेन देने का भी आग्रह किया है, ताकि उन्हें शीघ्रता पूर्वक भेजा जा सके.

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सुकुन देने वाली बात यह है कि सिरोही में अभी तक एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिला है. जो लोग ब्रह्माकुमारीज संस्थान में रुके हैं, उनकी नियमित स्वास्थ्य चेकअप, भोजन, राजयोग आदि कराया जा रहा है. साथ ही महाराष्ट्र में कई ऐसे जिले हैं, जिसे ग्रीन जोन घोषित किया गया है. यदि प्रशासन से सहयोग मिलेगा तो इन 1800 लोग अपने-अपने घर पहुंचे सकेंगे. अधिकतर काश्तकारों के आजीविका का साधन केवल कृषि ही है. यही कारण है कि वे दिन-रात इसी उलझन में जी रहे हैं.

हालांकि ब्रह्माकुमारीज संस्थान इन किसानों के खाने-पीने से लेकर हर चीज का ध्यान रख रही है. साथ ही राजयोग और ध्यान भी करा रही है, लेकिन लोगों की चिंता अपने फसलों के बर्बाद होने को लेकर है. संस्थान की पहल पर रेलवे के जीएम ने सभी किसानों की पूरी सूचि भी मंगाई है. लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है.

Last Updated : May 23, 2020, 8:14 PM IST

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