सिरोही.इस मामले में महानिरीक्षक सचिन मित्तल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि प्रार्थी प्रवीण कुमार सुथार ने पिंडवाड़ा थाना में एक रिपोर्ट 21 जनवरी को दी थी. उसका पुत्र पंकज कुमार जो एक निजी ट्रेवल्स में काम करता था. वह बस से पिंडवाड़ा पहुंचा था, जहां उसके बुलाने पर वह उसे लेने के लिए जनापुर चौराहा गया. लेकिन पंकज वहां नहीं मिला, उसके बाद से पंकज का मोबाइल बंद आ रहा था.
पंकज की तलाश की गई पर पंकज का कोई पता नहीं लगा. 23 जनवरी को दोपहर 3 बजे रोहिड़ा थाना पुलिस को एक अधजली लाश मिली. इस पर वहां जाकर देखा तो वह पंकज सुथार ही था, जिस पर पुलिस ने अपहरण और हत्या का मामला दर्ज किया. मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए टीम गठित की और मौके से ही आवश्यक साक्ष्य जुटाए.
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पुलिस की जांच में सामने आया कि पिता-पुत्र के बीच काफी समय से अनबन थी, जिस पर पुलिस ने सख्ती से पंकज सुथार के पिता प्रवीण से पूछताछ की तो पिता ने सब राज उगल दिए. उसने हत्या के लिए सुपारी देना कबूल किया. पूछताछ में प्रवीण ने बताया कि 21 जनवरी को जैसे ही उसके पुत्र पंकज सुथार का फोन आया कि वह जनापुर चौराहे पर खड़ा है. प्रवीण ने अपने पुत्र को मरवाने के लिए रोहिड़ा निवासी कांतिलाल माली को 1 लाख 25 हजार की सुपारी दी थी. कांतिलाल ने अपने सहयोगी पप्पू गरासिया निवासी पाबा, शंभू राम गरासिया निवासी उपलागढ़, नोका राम गरासिया और रमेश गरासिया निवासी पाबा के साथ मिलकर पंकज को मारने की योजना बनाई.
21 जनवरी को जैसे ही पंकज जनापुर चौराहे पर उतरा और अपने पिता को लेने के लिए फोन किया. उसी दौरान कांतिलाल और चारों अभियुक्त वेलकम चौराहे पर खड़े थे. जिन्हें प्रवीण ने फोन कर जनापुर चौराहे बुलाया. वहां पहुंचने पर प्रवीण और उसका पुत्र पहले से खड़े थे, जिनके पास कांतिलाल जीप लेकर पहुंचा और प्रवीण ने जीप के अंदर अपने पुत्र को बैठाने को कहा. प्रवीण आगे की सीट पर बैठ गया और उसका पुत्र पंकज पीछे की सीट पर बैठा.