सिरोही.देशभर में रविवार से घट स्थापना के साथ नवरात्र शुरू हो चुके है. 9 दिनों तक महाशक्ति जगदंबा जग जननी की उपासना में देशवासी लीन है. इसी क्रम में हम आपको अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य सिरोही जिले के माउंट आबू में बसी एक शक्ति पीठ से परिचित करवाने जा रहे हैं. यहां पर माता के होठों की पूजा होती है. माना जाता है कि सती के जब 52 टुकड़े हुए थे, तो उनमें से मां के होंठ यानी "अधर" इसी स्थान पर गिरे थे. इसीलिए इसे अधर देवी भी कहा जाता है.
बात की जाएं यदि प्रामाणिकता की, तो इस शक्ति पीठ यानी अधर देवी का प्रमाण हमें स्कंद पुराण के प्रभास खंड में मिलता है और यह 5500 वर्ष पुराना है. कुछ वर्षों पूर्व में संबित साधना यंत्र विश्वप्रसिद्ध गुरु स्वर्गीय स्वामी ईश्वरानंद गिरी जी महाराज ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि मां का यहां पर साक्षात निवास हैं. इसीलिए मंदिर के बाहर तक तो आपको कैमरा, मोबाइल और वीडियोग्राफी फोटोग्राफी अलाउड है, लेकिन मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही यह सब रखवा लिया जाता है.
स्कंद पुराण के प्रभास खंड के अनुसार ही यह उल्लेख आता है की पास्कल नाम का एक दैत्य यहां के आस-पास रहने वाले सभी साधू, सन्यासियों और संतों का अपमान करता था. उन्हें कहीं पर भी शांति पूर्वक भक्ति नहीं करने देता था. इसी से व्यथित होकर मां जगदंबा की सभी ने आराधना की, और भक्ति से प्रसन्न होकर माता ने पास्कल नाम के इस दैत्य से कई वर्षों तक युद्ध किया . युद्ध में विजय नहीं मिलने पर माता ने एक उपाय ढूंढा और एक विशाल शिला इस दैत्य के ऊपर दे मारी और उसके बाद अपने पैरों से इस शीला को पास्कल नामक दैत्य के ऊपर दबाकर मां कात्यायनी यहीं पर ही खड़ी हो गई.