सिरोही. जिले के बामणवाड जी में रविवार को कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में सिरोही विधानसभा से कांग्रेस के बागी विधायक संयम लोढा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंच साझा किया. इसे देखकर जिले में संयम लोढा की घर वापसी के कयास राजनीतिक गलियारों में लगाए जा रहे हैं.
वैसे अशोक गहलोत ने मंच से ही कहा कि सिरोही विधायक संयम लोढा हमारे साथ हैं. किन परिस्थितियों में उन्हें टिकट नहीं दिया गया वह इसकी चर्चा मंच से नहीं करेंगे. हालांकि उन्होंने लोढा विरोधी गुटों के ईगो संतुष्ट करते हुए यह भी कहा कि जिलाध्यक्ष और शेष कांग्रेस नेताओं ने उन्हें मंच साझा करने का बडप्पन दिखाया है यही बडप्पन कांग्रेस का गुण है.
लोढा विरोधी गुट के पदाधिकारी चुनाव से पूर्व शिवगंज और सिरोही की कांग्रेस की सभाओं में यह कहते नजर आए थे कि मुख्यमंत्री गहलोत ने स्पष्ट संदेश भेजा है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर सिरोही के कांग्रेस के बागी को पार्टी में नहीं लिया जाएगा और न ही उनसे कोई संपर्क किया जाएगा.
सीएम गहलोत ने लोढा की घर वापसी का संदेश दिया! - राजस्थान
जिले के बामणवाड जी में रविवार को कांग्रेस कार्यकर्ता सम्मेलन में सिरोही विधानसभा से कांग्रेस के बागी विधायक संयम लोढा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ मंच साझा किया. इसे देखकर जिले में संयम लोढा की घर वापसी के कयास राजनीतिक गलियारों में लगाए जा रहे हैं.
लेकिन, सिरोही जिले के पावापुरी और बामनवाड जी के दौरे में सभाओं से हेलीपैड तक अपनी गाड़ी में संयम लोढा को साथ ले जाकर मुख्यमंत्री ने यह संदेश दे दिया है कि सिरोही जिले में संयम लोढा के महत्व को कांग्रेस नजरअंदाज नहीं कर सकती और चुनाव के दौरान हुई खटास को भुलाकर एकजुटता से काम करना ही लोकसभा में जालोर-सिरोही संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के गले में जीत की माला डाल सकती है.
बता दें, विधानसभा चुनाव में सिरोही के पूर्व विधायक संयम लोढा का टिकट काटकर उनके ही दाहिने हाथ और कांग्रेस जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य को टिकट दिया गया था. ऐसे में नाराज लोढा ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सिरेाही विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. इतना ही नहीं जिला संगठन पर संयम लोढा की मजबूत पकड़ के कारण कांगेस के कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा सौंप कर असहयोगात्मक रवैया अपना लिया था. इसका परिणाम यह हुआ कि सिरोही में कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई. वहीं रेवदर और पिण्डवाडा-आबू विधानसभा क्षेत्रों में भी कांग्रेस प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा था.