सिरोही. भारतीय पुरातन संस्कृति आध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ब्रह्माकुमारीज संस्थान की तरफ से इस साल सकारात्मक बदलाव का वर्ष थीम (पॉजीटिव चैंज ऑफ द इयर) तय की गई है. इस थीम के तहत संस्थान के भारतवर्ष सहित विश्व के सभी 140 देशों के सेवाकेंद्रों पर कार्यक्रम, सभा, सम्मेलन और समारोह आयोजित किए जाएंगे. संस्थान अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय सिरोही जिले के आबूरोड स्थित शांतिवन के कॉन्फ्रेंस हॉल में चल रही सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की वार्षिक बैठक का समापन शनिवार रात को हो गया.
दो सत्रों में चली बैठक में सभी प्रभागों के पदाधिकारियों ने अपने-अपने प्रभाग के तहत सालभर में हुई सेवाओं की जानकारी वीडियो प्रजेंटेशन के माध्यम से दी. साथ ही भविष्य की कार्ययोजना को विस्तार से बताया. साथ ही वर्ष 2022 में आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर एक वर्षीय देशव्यापी अभियान के तहत हुई सेवाओं की जानकारी दी गई.
बैठक की अध्यक्षता कर रहे कार्यकारी सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय ने बताया कि साल 2022 में ब्रह्माकुमारीज के देशभर में स्थित पांच हजार सेवाकेंद्रों के माध्यम से सालभर में 55 हजार कार्यक्रम आयोजित किए गए. इनके माध्यम से तीन करोड़ लोगों तक भारत की पुरातन संस्कृति आध्यात्म, राजयोग मेडिटेशन, देशभक्ति, यौगिक खेती, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और नशामुक्ति आदि का संदेश दिया गया. इनमें सबसे ज्यादा रिकार्ड कार्यक्रम धार्मिक प्रभाग, मेडिकल प्रभाग और कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा आयोजित किए गए.
निरंतर चलता रहेगा नशामुक्ति अभियान : सचिव बीके डॉ. मृत्युंजय ने बताया कि बैठक में सर्वसहमति से तय किया गया कि संस्थान की ओर से निरंतर नशामुक्त भारत अभियान चलाया जाएगा. क्योंकि आज की युवा पीढ़ी को नशे के चंगुल से बचाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है. बात दें कि हाल ही में संस्थान के मेडिकल विंग और सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा एमओयू साइन किया गया है. इसके तहत विंग द्वारा देशभर में नशामुक्ति के लिए कार्यक्रम आयोजित कर जनजागरूकता फैलाई जाएगी.
जल जन अभियान को देंगे गति : इसके अलावा ब्रह्माकुमारीज और जल शक्ति मंत्रालय द्वारा चलाए जा रहे जल जन अभियान को गति देने के लिए सभी सेंटर मिलकर प्रयास करेंगे. इसके तहत कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जल संरक्षण के लिए जागरूक किया जाएगा. साथ ही बावड़ी और जलाशयों के जीर्णोद्धार के प्रयास किए जाएंगे. खासकर उन क्षेत्रों में विशेष प्रयास किए जाएंगे जो पहले से ही जल अभावग्रस्त क्षेत्रों में आते हैं.