सिरोही. प्रदेश के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में जहां वर्ष 2009 से ईको सेंसटिव जोन लागू है. साथ ही पहाड़ों की खूबसूरती को बचाए रखने के लिए किसी भी प्रकार की खनन, ब्लास्टिंग पर एनजीटी और सूप्रीम कोर्ट की रोक है. लेकिन माउंट आबू में आरयूडीपी के तहत सीवरेज कार्य आरएण्डबी इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है. वहीं इस सीवरेज कार्य के दौरान पर्यावरण को नष्ट करने की जिला प्रशासन ने ठान ली है.
माउंट आबू के पर्यावरण प्रेमी और आरटीआई एक्टिविस्ट महेंद्रदान चारण ने आरटीआई के तहत एकत्रित की गई सूचनाओं के आधार पर आरोप लगाया है, कि जिला कलेक्टर ने ही सीवरेज कम्पनी के ठेकेदार को ब्लास्टिंग की अनुमति दे दी है. अब माउंट आबू में सीवरेज कम्पनी द्वारा जगह-जगह रोजाना ब्लास्टिंग कर पहाड़ों को तोड़ा जा रहा है.
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जिला कलेक्टर ने दी ब्लास्टिंग की अनुमति
यह जानकर हैरत होगी की माउंट आबू में ब्लास्टिंग करने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ सिरोही के जिला कलेक्टर ने दी है. लेकिन सीवरेज कम्पनी द्वारा इन शर्तों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. वहीं सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी की मानें तो ईको सेंसटिव जोन में किसी भी प्रकार की कोई ब्लास्टिंग नहीं कर सकते है. वहीं वन विभाग की ओर से जारी एक पत्र में ऐसी किसी अनुमति के बारे में जानकारी नहीं होने की बात की जा रही है.
माउंट आबू में ब्लास्टिंग को लेकर एनजीटी में हुई शिकायत को लेकर जिला कलेक्टर, माउंट आबू एसडीएम और डीएफओ वन्य जीव ने कहा, कि यह प्रोजेक्ट जब से शुरू हुआ है, तब से लेकर अबतक किसी भी प्रकार की ब्लास्टिंग नहीं हुई है. मगर वीडियो कुछ और ही बयां कर रहा है.
इसके बाद इस पत्र में इन अधिकारियों ने कहा, कि मॉनिटरिंग कमेटी से इस संबंध चर्चा चल रही है. लेकिन जब मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य से संबंध साधा गया तो उन्होंने कहा, कि 2015 से लेकर आज के दिन तक इस संबंध में कोई बात नहीं हुई और पिछले दो सालों से तो मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक तक नहीं हुई है.