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सीकर: कोरोना के कारण घरों में ही महिलाओं ने किया गणगौर पूजन - राजस्थान न्यूज

सीकर में महिलाओं ने गणगौर पूजा की. महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़े पहन ईश गौर की पूजा कर मनोकामना पूर्ण होने की कामना की. वहीं कोरोना के चलते इस बार शहर में लगातार दूसरे साल भी गणगौर माता की शाही सवारी नहीं निकलेगी.

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सीकर में गणगौर पूजन

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Published : Apr 15, 2021, 12:04 PM IST

सीकर. फाल्गुन माह के बाद का मंद मंद ठंडा मौसम, गीत गाते हुए नवविवाहित युवतियों और महिलाओं का समूह, रंगी-बिरंगी पोशाकों से सजी गणगौर और ईश्वरदास की प्रतिमा. जी हम बात कर रहे हैं गणगौर पर्व की. शेखावाटी के जिलों में गणगौर को लेकर खासा उत्साह बना रहता है, जहां नवविवाहित युवतियां और महिलाएं लगातार 15 दिन तक गणगौर माता और भगवान ईश्वर दास का पूजन करती है.

सीकर में गणगौर पूजन

धुलंडी के दिन से शुरु हुई गणगौर पर्व का आज के दिन समापन होता है, जहां आज महिलाएं, नवविवाहित और युवतियां सज-धज कर गणगौर माता और भगवान ईश्वरदास की प्रतिमा को अपने क्षेत्र के पास के कुवे, बावड़ी आदि में विसर्जित करती है. एक ओर जहां पिछले साल मोहल्ले की सभी महिलाएं और नवविवाहित युवतियां जहां एक साथ बड़ी संख्या में बैठकर पूजन करती थी लेकिन वर्तमान में वैश्विक कोरोना महामारी के चलते महिलाएं और नवविवाहित युवतियां अपने घरों में ही गणगौर का पूजन कर रही है. वहीं कोरोना के चलते इस बार शहर में लगातार दूसरे साल भी गणगौर माता की शाही सवारी नहीं निकलेगी.

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नव विवाहित युवती ने बताया कि राजस्थान में गणगौर का त्योहार महिलाओं के लिए सबसे बड़ा त्योहार है और सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए गणगौर माता का पूजन करती है. साथ ही कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए गणगौर का पूजन करती है. नव विवाहित युवती खुशबू कंवर ने बताया कि पिछले साल भी कोरोना महामारी के चलते शहर में गणगौर के मेले का आयोजन नहीं हो पाया था. इसी वर्ष भी महामारी की वजह से मेले का आयोजन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में हमारी गणगौर माता से यही प्रार्थना है कि इस कोरोना वायरस महामारी से हमें छुटकारा दिलाए. जिससे कि हम अब आने वाले साल में गणगौर का पर्व अच्छे से मना सके और मेले आदि का आनंद ले सके.

बुजुर्ग महिला सुनीता पंवार ने बताया कि राजस्थान राज्य में गणगौर का त्योहार का अपना एक अलग ही महत्व है, जहां महिलाएं लगातार 16 दिन तक गणगौर माता का पूजन करती है. धुलंडी से लेकर शीतला अष्टमी तक गाय के गोबर से बनी पींडियों का पूजन किया जाता है और शीतला अष्टमी के दिन महिलाएं और नवविवाहित युक्तियां तैयार होकर सज धज कर गीत गाते हुए कुम्हार के घर से गणगौर की प्रतिमा लेकर आती है और लगातार 8 दिन तक उनका पूजन करती है और आज के दिन उनका विसर्जन करती है.

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सुनीता ने बताया कि वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते महिलाएं और नवविवाहित युवतियां पहले की भांति कम समूह में अपने अपने घरों में गणगौर का पूजन कर रही है. वही कोरोना संक्रमण के चलते इस बार लगातार दूसरी बार भी शहर में गणगौर माता के मेले का आयोजन नहीं होगा. ऐसे में हमारी गणगौर माता से यही कामना है कि वह जल्द से जल्द इस वैश्विक महामारी को दूर करें जिससे कि हम पूर्व की भांति गणगौर के त्यौहार का आनंद ले सकें.

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