सीकर.जिले में झुंझुनूं की सीमा पर बसा गांव दीनवा लाडखानी को शहीदों वाला गांव भी कहा जा सकता है. इस छोटे से गांव में अब तक 7 जवान शहीद हो चुके हैं. अगर देशभक्ति का जज्बा देखना है, तो सीकर जिले के इस गांव में आना चाहिए. गांव का जर्रा-जर्रा देशभक्ति के गुणगान करता है. सेना में जाने की बात की जाए तो गांव की आबादी भले ही ढाई हजार है, लेकिन इस गांव के करीब 350 जवान आज भी सेना में हैं और इतनी ही जवान सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.
सीकर जिले के फतेहपुर उप खंड के गांव दीनवा लाडखानी में घुसते ही यहां की देशभक्ति की खुशबू आने लगती है. गांव के चौक में एक साथ 3 शहीदों की प्रतिमाएं लगी हुई हैं और उन्हीं को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव के लोगों में देशभक्ति किस कदर भरी हुई है. गांव के चौक में शहीद मुखराम बुडानिया, शहीद धर्मवीर सिंह शेखावत और शहीद सूरजभान बुडानिया की मूर्ति लगी हुई है.
सीकर के इस गांव में बहती है देशभक्ति की धारासीकर के इस गांव में बहती है देशभक्ति की धारा वहीं, जब ग्रामीणों से गांव में शहीद होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके गांव में सात शहीद हो चुके हैं. चार शहीद पहले के हैं और उस वक्त शहीदों के शव भी नहीं आते थे. लेकिन, उन को शहीद का दर्जा मिला हुआ है. सिर्फ 2500 की आबादी वाले गांव में इतने शहीद शायद कहीं नहीं होंगे. गांव में सेना से रिटायर्ड कैप्टन मदन सिंह से मुलाकात हुई. देश के लिए तीन लड़ाइयां लड़ चुके मदन सिंह ने कहा कि इस गांव के लोगों में सेना में जाने का जज्बा पहले विश्व युद्ध के समय से ही था. द्वितीय विश्व युद्ध में भी गांव के कई लोग सेना में थे. आजादी के बाद तो सेना में जाने वालों की तादाद लगातार बढ़ती गई.
तैयारी करते हैं युवा
दिनवा गांव के सैकड़ों युवा आज भी सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं और सुबह सुबह गांव के बाहर इनको तैयारी करते हुए देखा जा सकता है. गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि सेना में जाने के लिए यहां के युवा हमेशा तैयार रहते हैं.
परिवार बाहर, लेकिन स्मारक को संभालते हैं ग्रामीण
गांव के शहीद धर्मवीर सिंह शेखावत और सूरजभान बुडानिया का परिवार गांव में नहीं रह कर बाहर रहता है. लेकिन, इसके बाद भी उनकी स्मारक को ग्रामीण संभालते हैं. गांव के युवा हर दिन यहां साफ सफाई करते हैं. सरपंच कन्हैयालाल ने बताया कि गांव के शहीद देश की शान हैं. उनके गांव के लोग हर दिन शहीद प्रतिमाओं पर जाते हैं.
यह शहीद हुए है दिनवा गांव में
- शहीद नारायण सिंह: 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई में गांव के नारायण सिंह पुत्र बंशीलाल सिंह शहीद हुए थे.
- मदन सिंह: 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में गांव के मदन सिंह पुत्र भगवंत सिंह शहीद हुए थे.
- सवाई सिंह: दक्षिण अफ्रीका के कांगो में शहीद हुए थे, गांव के सवाई सिंह पुत्र धुकल सिंह.
- भंवर सिंह: श्रीलंका में भेजी गई शांति सेना में शामिल गांव के भंवर सिंह पुत्र सवाई सिंह वहां शहीद हुए थे.
- मुखराम बुडानिया: जम्मू कश्मीर में बर्फीले तूफान की वजह से गांव के मुखराम बुडानिया 2002 में शहीद हुए थे.
- धर्मवीर सिंह शेखावत: 2005 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हमले में गांव के धर्म वीर सिंह पुत्र खेम सिंह शेखावत शहीद हुए थे.
- सूरजभान: गांव के सूरजभान बुडानिया 2010 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए थे.
देशभक्ति का जज्बा देखना हो तो सीकर जिले के दिनवा लाडखानी गांव आइए. सिर्फ 2500 की आबादी वाले इस गांव में अब तक 7 शहीद हो चुके हैं. गांव की करीब 700 लोग सेना में जा चुके हैं और 350 युवा आज भी सेना में है.