सीकर. छात्रसंघ चुनाव के बाद मतगणना के दिन हुआ पुलिस की ओर से किया गया लाठीचार्ज और उसके बाद लगातार हो रहे आंदोलन में अब सीकर की जनता पिस रही है. वहीं अब एक बार फिर सोमवार को सीकर में महापड़ाव जैसे आंदोलन की चेतावनी है. इस आंदोलन से पहले भी प्रदेश में कई आंदोलन हो चुके हैं, जिसमें बाजारों को बंद कर के चक्का जाम किया गया और कलेक्ट्रेट का घेराव भी किया जा चुका है.
सीकर में अनिश्चितकालीन आंदोलन शहर में राजकीय कल्याण कन्या महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की मतगणना के बाद से विवाद चल रहा है. इस मामले में पुलिस ने छात्राओं पर भी लाठीचार्ज कर दिया था. इसके बाद तो आंदोलन लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. आंदोलन की शुरुआत कलेक्ट्रेट के घेराव से हुई और इसके बाद प्रदेश में माकपा की सभा हुई.
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इस सभा में अल्टीमेटम दिया गया था कि 10 दिन में सरकार अगर मांगे नहीं मानेगी तो चक्का जाम किया जाएगा. 10 दिन भी बीत गए सीकर शहर बंद रहा जिले भर में चक्का जाम हुआ लेकिन फिर भी सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. अब एक बार फिर सोमवार को सीकर में अनिश्चितकालीन आंदोलन होना है. अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार बातचीत के जरिए या कुछ कार्रवाई कर आंदोलन को समाप्त क्यों नहीं करवाती क्या सीकर की जनता इसी तरह इस आंदोलन में पिसती रहेगी.
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बता दें कि इस आंदोलन के पीछे कोई जनता की केवल इतनी सी मांग है कि छात्राओं पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए और दोषी पुलिस अधिकारियों को हटाया जाए. छात्र संघ चुनाव में इसी तरह का लाठीचार्ज अलवर में हुआ था और अगले ही दिन सरकार ने पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया था. अब बड़ा सवाल यह है कि सीकर में अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई. सूत्रों की माने तो प्रदेश में कार्रवाई इसलिए नहीं हो रही कि सरकार नहीं चाहती कि माकपा को किसी भी तरह का श्रेय मिले. लेकिन इस तरह के चक्कर में प्रदेश की जनता परेशान हो रही है. सोमवार को अगर अनिश्चितकालीन महापड़ाव होता है तो एक बार फिर लोगों को बड़ी परेशानी होगी.