रींगस(सीकर). मंहगी शिक्षा के दौर में जहां बच्चों पर बस्तों का बोझ हो या उनके परिजनों पर उनकी पढ़ाई का आर्थिक भार दोनों ही सूरत में वाजिब नहीं है. लेकिन इन सब के बीच आशा की किरण के रूप में सीकर जिले के रींगस का राजकीय विद्यालय अपने आप में अनूठा उदाहरण पेश करता है. जहां निजी विद्यालय की तमाम सुविधाएं तो है पर न परिजनों पर आर्थिक भार और ना ही बच्चों के लिए शिक्षा का बोझिल माहौल, बस एक अच्छी शिक्षा का उपहार.
सीमारला जागीर का राजकीय प्राथमिक विद्यालय ढाणी काकोडिया वाली के शिक्षक बच्चों के प्रति इतना समर्पित है कि वर्ष में केवल तीन ही अवकाश घोषित कर रखे हैं दो दीपावली व एक होली का अवकाश. इन नवाचारों की शुरुआत करीब 1 साल पहले राजकीय प्राथमिक विद्यालय ढाकावाली जोहड़ी गुंगारा पिपराली से स्थानांतरित होकर आए महेंद्र सिंह निठारवाल के प्रयासों से हुई.
शिक्षक महेंद्र सिंह निठारवाल जब विद्यालय में आए तो विद्यार्थियों की संख्या मात्र 54 थी जो आज बढ़कर 121 नामांकित है. विद्यालय में निजी विद्यालयों की तर्ज पर विद्यार्थियों के बैठने के लिए बैंच सुविधा, सभी कक्षा कक्षों में दो दो पंखे, प्रोजेक्टर कक्षा में कूलर, सामूहिक कार्यक्रम के आयोजन के लिए छत, निजी विद्यालयों की तरह ड्रेस कोड जिसमें वेशभूषा, टाई, बेल्ट, जूते, आई कार्ड आदि शामिल है. विद्यालय में प्रतिदिन प्रार्थना इलेक्ट्रॉनिक साउंड द्वारा संपन्न करवाई जाती है. विद्यार्थियों के लिए मिड-डे-मील के लिए तीन खानों युक्त थाली.
अध्यापक महेंद्र सिंह निठारवाल ने बताया कि विद्यालय परिसर में भामाशाहों के सहयोग से सरस्वती मंदिर का निर्माण करवाया गया है, जिसमें मां सरस्वती की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 10 नवंबर को प्रस्तावित है. कक्षा प्रथम व द्वितीय के बच्चों को प्रोजेक्टर के माध्यम से अध्ययन करवाया जाता है. पूरा विद्यालय परिसर सीसीटीवी से युक्त है जो सभी अध्यापकों के मोबाइल से जुड़े हुए हैं. जो कहीं पर भी लाइव देखे जा सकते हैं.