फतेहपुर (सीकर).दिल्ली हिंसा के शिकार हुए दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतनलाल का शव तीसरे दिन अलसुबह उनके गांव पहुंचा. जहां तिहावली गांव के तीन किमी पहले ही लोगों ने शव वाहन को रोककर नेशनल हाइवे जाम कर दिया. रतनलाल को शहीद का दर्जा देने की मांग को लेकर साढ़े पांच घंटे तक नेशनल हाइवे पर डटे रहे. करीब साढ़े पांच घंटे बाद सीकर सांसद सुमेधानंद ने शहीद का दर्जा देने की घोषणा की तो परिजन व ग्रामीण माने. इसके बाद शव को घर लाया गया. वहीं सीकर सांसद सुमेधानंद ने 1 करोड़ का पैकेज और पत्नी को योग्यतानुसार सरकारी नौकरी देने की घोषणा की.
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करीब एक घंटे के क्रियाकर्म के बाद रतनलाल के शव की अंतिम यात्रा शुरू हुई. अंतिम यात्रा में भारी संख्या में लोग उमड़े और पूरी यात्रा में शहीद रतनलाल अमर रहे, वंदेमातरम व भारत माता के गगनभेदी जयकारे लगातार लगाते रहे. अंतिम संस्कार स्थल पर दिल्ली पुलिस के जवानों ने गार्ड ऑफ आनॅर देकर रतनलाल को अंतिम सलामी दी. रतनलाल के इकलौते 6 साल के बेटे विरेन ने शव को मुखाग्रि दी.
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वहीं इससे पहले धरनास्थल पर सांसद नरेन्द्र खीचड़, सुमेधानंद सरस्वती, विधायक हाकम अली खान, पूर्व विधायक नंदकिशोर महरिया पहुंचें तथा शहीद का दर्जा देने की मांग को समर्थन दिया. इसके बाद सांसद सुमेधानंद सरस्वती ने दिल्ली में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किशन सिंह रेड्डी से फोन पर वार्ता की. लेकिन ग्रामीण लिखित आश्वासन की मांग पर अड़े रहे. इसके बाद संदेश आने पर ग्रामीण शव के दाह संस्कार के लिए राजी हुए. शहीद रतनलाल की अंतिम यात्रा में भारी भीड़ उमड़ी पड़ी. वहीं जब शहीद रतनलाल का शव घर पहुंचा तो कोहराम मच गया. पत्नी, मां, बहन सहित अन्य परिवार की महिलाएं बेसुध हो गई. रतनलाल की दोनों बेटियों और बेटे का भी बुरा हाल था.