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सीकर: अमर हैं शेखावाटी के शहीद, प्रतिमाओं को राखी बांधने आती हैं बहनें

3 अगस्त को पूरा देश रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा है. इसी कड़ी में सीकर की बहनें भी अपने शहीद भाईयों की प्रतिमा पर राखी बांधती है. जो दिखाता है कि भाई-बहन का प्यार अटूट है.

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बहनों ने शहीद स्मारक पर राखी बांधा मनाया पर्व

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Published : Aug 3, 2020, 11:02 AM IST

सीकर. रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्यार का पर्व है. देशभर की बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर लंबी उम्र की कामना करेंगी. वहीं शेखावाटी की शहीदों की बहनें भी अपने भाइयों को राखी बांधकर यह त्योहार मनाएंगी.

बहनों ने शहीद स्मारक पर राखी बांधा मनाया पर्व

शेखावाटी के इलाकों में गांव-गांव में शहीदों की प्रतिमाएं मिलेंगी क्योंकि जहां के जवान देश के लिए अपने प्राण न्योछावर करने में हमेशा आगे रहे हैं. कारगिल युद्ध हो या इससे पहले के भारत-पाकिस्तान और भारत-चीन युद्ध में यहां के सैनिकों ने दुश्मनों को हमेशा अपना लोहा मनवाया है. इसके बाद भी जब जब सीमा पर तनाव हुआ तो यहां के जवान हमेशा आगे रहे. कहा जाता कि शहीद हमेशा के लिए अमर होते हैं और ऐसा ही जज्बा शेखावाटी में देखने को मिलेगा. बात रक्षाबंधन के त्योहार की करें तो यहां हर रक्षाबंधन पर शहीदों की बहने उनकी प्रतिमाओं को राखी बांधने के लिए आती हैं.

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रक्षा बंधन के दिन और इससे पहले जब राखी का त्योहार नजदीक आ जाता है तो दूरदराज रहने वाली बहन भाई को राखी बांधने के लिए आती हैं और सबसे पहले शहीद भाई की प्रतिमा पर जाकर राखी बांधती हैं. घर के शहीद महेश कुमार भामू की बहनों ने बताया कि वे यहां बस अपने शहीद भाई की प्रतिमा पर राखी बांधने के लिए आती हैं. घर पर बाकी लोगों को राखी बांधने से पहले अपने शहीद भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं.

सीकर जिले में 207 शहीद हैं

सीकर जिले की बात करें तो यहां पर देश आजाद होने के बाद से अब तक यहां के 207 सपूतों ने देश के लिए अपना बलिदान दिया है. इनमें से सात शहीद कारगिल में ऑपरेशन विजय के दौरान हुए थे और 200 अलग-अलग युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए थे. 1962 के युद्ध से लेकर 1971 और 1999 के युद्ध में सीकर के 23 जवान शहीद हुए हैं. ज्यादातर गांव में शहीदों की प्रतिमाएं मिलेंगे और वहां पर हर वर्ष राखी के दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधने आती है.

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