सीकर.कोरोना वायरस की लड़ाई में सीकर का प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग लगातार जुटे हुए हैं. एक समय था जब देशभर में लॉकडाउन था और कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, उस वक्त यह सवाल उठ रहे थे कि सीकर जिले में कम सैंपलों की जांच की जा रही है. उस वक्त कहा जा रहा था कि सैंपल नहीं होने की वजह से ही कोरोना के असली मामले सामने नहीं आ पा रहे हैं.
इसके बाद जैसे ही लॉकडाउन में छूट दी गई और प्रवासियों का आना शुरू हुआ तो सीकर में स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी पूरी ताकत लगानी शुरू कर दी और हालात ये है कि आज सीकर जिला जयपुर, जोधपुर, कोटा जैसे बड़े शहरों को छोड़ दें तो कोरोना वायरस की जांच के मामले में प्रदेश में पांचवें स्थान पर है. जबकि प्रवासियों से आने से पहले यानी कि 9 मई तक सीकर जिला प्रदेश में 22वें स्थान पर था.
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बता दें कि सीकर के व्यक्ति का पहला सैंपल 1 जनवरी को लिया गया था, जो चीन से आया था. उसके बाद अब तक 43 हजार 793 सैंपल लिए जा चुके हैं. इन 7 महीनों के समय में किस तरह से सीकर में स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना वायरस को रोका, उसके आंकड़े इसकी हकीकत बता रहे हैं.
सीकर जिले की बात की जाए तो जिले में जनवरी में ही स्वास्थ्य विभाग के सामने ये जानकारी आई थी कि दातारामगढ़ इलाके के 2 लोग चीन के वुहान से आए थे. उन्हीं लोगों से स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेने की शुरुआत की थी और कोरोना वायरस के सैंपल लेकर जांच के लिए पुणे भेजे गए थे. इसके बाद पूरे देश में कोरोना वायरस पैर पसारने लगा था और देश में लॉकडाउन हो गया.
लॉकडाउन की बात की जाए तो 8 मई तक सीकर जिले में महज 9 लोग पॉजिटिव आए थे और तब तक 1 हजार 716 सैंपल लिए गए थे. उस वक्त सीकर में कोरोना वायरस का संक्रमण न के बराबर था, लेकिन जैसे-जैसे लॉकडाउन में छूट मिली वैसे-वैसे मरीज सामने आते गए. तब तक सीकर जिला प्रदेश में कोरोना वायरस की जांच के मामले में 22वें स्थान पर था और यह सवाल उठ रहे थे कि जिले में जांच समय पर नहीं हो रही है.