सीकर में राइट टू हेल्थ बिल का विरोध जारी सीकर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में डॉक्टर का धरना लगातार जारी है. सीकर में कलेक्ट्रेट के बाहर आमरण अनशन पर बैठे रविंद्र धाभाई व अनिल चौधरी की तबीयत बिगड़ने पर पुलिस ने रविवार को जबरन एंबुलेंस में बिठाकर राजकीय कल्याण अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उन्हें शाम 5:00 बजे स्वस्थ होने पर छुट्टी दे दी गई. बिल के खिलाफ विरोध जताते हुए डॉक्टर्स ने वाहन रैली निकाली. शाम को क्रमिक अनशन पर बैठे चिकित्सकों को जूस पिलाकर अनशन तुड़वाया.
क्रमिक अनशन पर बैठी डॉ भारती ने बताया कि सरकार चुनावों से पहले फ्री की रेवड़ी बांटने का वादा कर रही है. यह हवा में उड़ने वाली बातें हैं, धरातल से जुड़ी हुई बातें नहीं हैं. सरकार आम जनता व डॉक्टर के बीच भ्रांति फैलाकर दोनों को आपस में लड़ाना चाहती है और खुद फायदा लेना चाहती है. अपनी नाकामी का ठीकरा सरकार डॉक्टर पर फोड़ना चाहती है. कोरोना के समय हम पर फूल बरसाए जा रहे थे, लेकिन आज हमपर सरकार लाठियां बरसा रही है. सरकार को चुनाव से 6 महीने पहले राइट टू हेल्थ बिल कैसे याद आया?
पढ़ें. Protest Against Right To Health Bill : कल चिकित्सकों का देशव्यापी हड़ताल, कार्रवाई की तैयारी में सरकार
इंस्पेक्टर राज लागू करने की संभावना :डॉ अनीता चौधरी ने आरोप लगाया कि सरकार राइट टू हेल्थ बिल को जबरदस्ती थोपना चाहती है. सरकार ने अभी तक नहीं बताया कि इमरजेंसी की परिभाषा क्या है. किस-किस चीज को इमरजेंसी के अंतर्गत माना जाएगा, किस चीज का पुनर्भरण कितना होगा और कितने समय में होगा. पुरानी योजनाओं का भी 50 लाख से एक करोड़ तक का पुनर्भरण अभी भी बकाया है. डॉ अनीता ने बताया कि हमारे दमन के लिए सरकार बिल के माध्यम से इंस्पेक्टर राज लाने की पूरी संभावना है.
बिल पर आपत्ति जताते हुए डॉक्टर ने बताया कि इसमें प्रावधान किया गया है कि शिकायतकर्ता की शिकायत का 3 दिन के अंदर निस्तारण करना होगा और डॉक्टर को पनिशमेंट दी जाएगी. डॉ सरिता पूनिया ने कहा कि सरकार को बिल पास करने से पहले डॉक्टर से राय मशविरा करना चाहिए था. डॉ पूनिया ने कहा कि मैं गायनिक डॉक्टर हूं. जब कोई ट्रोमा का पेशेंट आ जाएगा तब उसका इलाज पहले कैसे कर पाऊंगी. हम फ्री में काम नहीं कर सकते क्योंकि हमें अपने अस्पताल को मैनेज करना है. लैब को मैनेज करना होता है, स्टाफ को मैनेज करना होता है. पिछली सरकार की भामाशाह योजना का हमारा 14 लाख का बिल बकाया है, हमारी कोई सुनने वाला नहीं है.