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शिक्षा में दिल्ली मॉडल पर बोले मंत्री डोटासरा, 'दिल्ली और राजस्थान में बहुत फर्क है'

राजस्थान में दिल्ली का शिक्षा मॉडल लागू करने के सवाल पर शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा ने कहा, कि दिल्ली और राजस्थान में भौगोलिक दृष्टि से बहुत फर्क है. दिल्ली में कुल 1300 स्कूल ही हैं. जबकि राजस्थान में अकेले जयपुर में ही 1300 स्कूल हैं.

Education Minister Govind Dotasara, शिक्षा मंत्री गोविन्द डोटासरा
शिक्षा में दिल्ली मॉडल पर बोले मंत्री डोटासरा

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Published : Feb 16, 2020, 11:18 PM IST

फतेहपुर (सीकर). शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली मॉडल लागू करने के सवाल पर शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा, कि दिल्ली और राजस्थान में भौगोलिक दृष्टि से बहुत फर्क है. दिल्ली में कुल 1300 स्कूल ही है. यहां जयपुर में ही 1300 स्कूल हैं. दिल्ली के लोग पढ़े-लिखे हैं. वहां आम घरों में ही हिन्दी बोली जाती है. ऐसे में दिल्ली मॉडल की बात नहीं हो सकती है, लेकिन यह विश्वास जरूर दिला सकता हूं, कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में अमूलचूल परिवर्तन होगा और देश में नंबर एक या दो पर लाएंगे. डोटसरा रविवार को सालासर रोड पर स्थित होटल के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.

शिक्षा में दिल्ली मॉडल पर बोले मंत्री डोटासरा

जनता जुड़ेगी तब ही तस्वीर बदलेगी

शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है, कि सरकारी स्कूलों की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही है. अब स्कूलों में बहुत बदलाव हुए है. जबतक सरकारी स्कूलों से लोगों का जुड़ाव नहीं होगा, तबतक स्कूलों की तस्वीर नहीं बदल सकती है. इसी के साथ उन्होंने कहा, कि जनता का जुड़ाव हो जाएगा तो पढ़ाई अच्छी होगी और छात्र संख्या बढ़ेगी तो अपने आप विकास कार्य होगा. जिस स्कूल में 700-800 बच्चों की संख्या होगी वहां पर विकास के लिए विधायक और मंत्री भी मना नहीं कर सकेंगे. सत्तर वर्षों में जो कुछ नहीं बदला है वह शिक्षा के क्षेत्र में हमने बदला है. चाहे बस्ते का वजन कम करना हो या फिर वार्षिकोत्सव और खेलों के लिए पैसे देने की हो. काम नहीं करेंगे तो जनता प्राइवेट में बैठा देगी.

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शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, कि काम करेंगे तो ही जनता वोट देगी. मंच पर बैठे हुए विधायक हाकम अली खां को इंगित करते हुए कहा कि जनता काम के आधार पर ही वोट देगी. अपन यह कहेंगे कि मास्टर नहीं है, स्कूलों में कमरे नहीं है तो यह जनता हमकों भी प्राइवेट में भेज देगी. सरकारी बंगले की जगह प्राइवेट में रहना पड़ेगा इसलिए कार्य करने की जरूरत है.

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