श्रीमाधोपुर(सीकर). जिले के श्रीमाधोपुर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है. श्रीमाधोपुर की स्थापना इतिहास से मिली जानकारी के अनुसार 1761 में वैशाख शुक्ल तृतीय (अक्षय तृतीया) को खुशालीराम बोहरा ने श्रीमाधोपुर कस्बे की स्थापना चौपड़ बाजार में स्थित खेजड़ी के वृक्ष की टहनी रोप कर की थी. यह खेजड़ी का पेड़ आज भी नगर के बीचों-बीच चौपड़ बाजार में वर्तमान शिवालय परिसर के अन्दर हनुमान मंदिर में स्थित है. इस पेड़ के निकट ही हनुमान जी की उत्तरमुखी मूर्ति और चर्तुमुखी शिवलिंग भी स्थित है.
महाशिवरात्रि पर्व पर मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब श्रीमाधोपुर की स्थापना के समय इस शिवमंदिर में चतुर्मुखी शिवलिंग की स्थापना हुई थी और इसके कुछ वर्षों बाद इस परिसर के ऊपर दूसरा शिवमंदिर निर्मित हुआ. जिसमें चर्तुमुखी शिवलिंग के साथ-साथ माता गौरी, अष्टधातु की माता पार्वती, गणेश जी तथा नंदी की मूर्तियां भी स्थापित की गई है.
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इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां माता पार्वती और माता गौरी की मूर्ति एक साथ है और द्वार पर कार्तिकेय की मूर्ति है, जबकि सभी जगह शिव पंचायत में माता गौरी की जगह कार्तिकेय की मूर्ति होती है. मंदिर के प्रवेश द्वार पर सीढ़ियों के निकट द्वारपाल के रूप में कार्तिक स्वामी की मूर्ति स्थापित है. माता पार्वती की अष्टधातु की मूर्ति बेशकीमती है. जिसका खुलासा कुछ समय पहले ही इस मूर्ति के चोरी हो जाने पर हुआ था.
मूर्ति के बरामद हो जाने पर यह पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इस चमत्कारी मूर्ति की कीमत करोड़ों रुपये में आंकी गई है.इस घटना के पश्चात अब मंदिर की सुरक्षा भी काफी बढ़ा दी गई है, जिनमें cctv कैमरों के साथ-साथ चैनल गेट भी लगाए गए हैं.