दांतारामगढ़ (सीकर).खाटूश्यामजी में जन जन के आराध्य देव बाबा श्याम का फाल्गुन महोत्सव शुक्रवार को संपन्न हुआ. दस दिवसीय वार्षिक लक्खी मेले के दौरान देश के कोने कोने से लाखों श्याम भक्तों ने बाबा श्याम के दरबार मे शीश नवाया. द्वादशी शुक्रवार को श्याम भक्तों ने बाबा श्याम के दर्शन कर मन्नतें मांगी. हालांकि, इस बार प्रशासन की गाइडलाइन के चलते बाबा श्याम के लक्खी मेले में हर दिन गत मेलों की तरह रस नहीं बन पाया. फिर भी आने वाले श्याम भक्तों की आस्था, भक्ति के सामने कोरोना भी कमजोर पड़ता दिखाई दिया. प्रतिवर्ष आकर बाबा श्याम के दर पर हाजरी लगाने वाले ऐसे भक्त इस बार भी मेले मे नजर आये.
द्वादशी पर बाबा से बिछड़ने की घड़ी आई तो भावुक हुए भक्त... बाबा श्याम के लक्खी मेले मे एकादशी रात्री को बाबा श्याम का रस बरसता रहा. इस बार जिला प्रशासन की गाइडलाइन के अनुसार, धर्मशालाओं मे कीर्तन की अनुमति नहीं थी. इसके बाबजूद धर्मशालाओं मे छोटे रूप मे ही बाबा का दरबार सजाकर भजन कीर्तन कर बाबा को रिझाया गया. बाबा श्याम के द्वादशी को दोपहर बाद ग्रामीण परिवेश का मेला दिखा, जो रोजमर्रा की खरीदारी के साथ झूले इत्यादि में मेले का आनंद लेते नजर आये. प्रतिवर्ष हजारों श्याम भक्त होली खेलने के खाटूश्यामजी मे रुकते थे. लेकिन, इस बार होली पर मंदिर बंद रहने के कारण द्वादशी पर ही अपने गंतव्य को लोटते दिखाई दिये. देश के विभिन्न प्रांतो से आये श्याम भक्त बाबा श्याम से फिर बुलाने की सद्इच्छा के साथ रवाना होते हुए कहा कि म्हाने भूल बिसर मत ज्या ज्यो जी सांवरे सरकार... इसके साथ ही आंखों मे बाबा श्याम से बिछड़ने का दर्द दिखाई दे रहा था.
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सुरजगढ का 373वां निशान चढ़ा बाबा के शिखर पर...
द्वादशी पर वर्षों से निभाई जा रही परंपरा बाबा श्याम के दरबार में निभाई गई. सूरजगढ़ के श्याम भक्तों ने बाबा के शिखर पर 373वां निशान चढ़ाया गया. गौरतलब है कि वैसे तो बाबा श्याम के वार्षिक लक्खी मेले में लाखों निशान बाबा के अर्पित होते हैं. लेकिन, एक मात्र सूरजगढ़ का ही ऐसा निशान है, जो वर्ष पर्यंत बाबा की शिखर पर लहराता है. यह परंपरा 373 वर्षों से लगातार निभाई जा रही है. सूरजगढ़ का जत्था ही एक ऐसा जत्था है जो नांचते गाते पैदल ही आता है और बाबा के निशान चढ़ाने के बाद वापस भी पैदल ही जाते है. बाबा श्याम के दर पर यह सुरजगढ़ का जत्था राजस्थान की परंपरागत वेशभूषा में हाथों में मोरछडी लेकर खाटूश्यामजी आते हैं. हालांकि, यह निशान दशमी को ही खाटू पहुंच जाता है. इसके बाद द्वादशी को बाबा के शिखरबंध पर चढाते हैं. जत्थे के हजारीलाल इंदोरिया ने बताया कि बाबा श्याम की असीम कृपा से यह निशान चढता आया है और बाबा श्याम से यहीं प्रार्थना है कि हर वर्ष यह सुखद समय आता रहे. थाना प्रभारी पूजा पूनिया ने सुरक्षा व्यवस्था मुहैया करवाते हुए सूरजगढ़ का निशान बाबा शिखर पर चढाया गया.
होली पर भी नहीं होंगे दर्शन...
बाबा श्याम का वार्षिक लक्खी मेले का समापन शुक्रवार को हो गया. इसके साथ ही श्री श्याम मंदिर कमेटी ने कोरोना के बढते संक्रमण को देखते हुए शनिवार से श्याम मंदिर को बंद रखने का निर्णय लिया गया है, जिसके चलते मंदिर इतिहास मे पहली बार होली व धुलंडी पर भक्तों को बाबा श्याम के दर्शन नहीं होंगे. इसके साथ ही मंदिर में इस बार भक्त बाबा श्याम का खजाना नहीं लूट पाएंगे. बता दें कि होली पर भक्तों में बाबा श्याम के सिक्कों को बांटा जाता है. मंदिर कमेटी के अध्यक्ष शंभूसिंह चौहान ने बताया कि कमेटी के आगामी आदेश तक श्याम मंदिर बंद रहेगा.