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Kargil Vijay Diwas 2023 : 24 साल बाद भी इकराम के परिवार को नहीं मिला शहीद का निशान, अपने खर्चे पर बनवा रहे परिजन - Rajasthan Hindi news

आज कारगिल विजय दिवस पर युद्ध में शहीद हुए जवानों को पूरा देश याद कर रहा है. इनमें सीकर के जवान इकराम भी शामिल थे, जिनका परिवार आज भी शहीद के निशान लिए दर-दर भटक रहे हैं. शहीद के परिवार का दावा है कि अब वो अपने खर्च पर निशान बनवा रहे हैं.

Kargil Vijay Diwas 2023
Kargil Vijay Diwas 2023

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Published : Jul 26, 2023, 8:43 PM IST

सीकर. कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में हर साल 26 जुलाई को कारगिल शहीद दिवस मनाया जाता है. वीरों की धरती शेखावाटी के भी कई जवान कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे. इन्हीं में एक जवान सीकर जिले के इकराम खान भी थे, जिनके पिता कैप्टन इकबाल भी देश की सेवा कर चुके थे. इकराम के भाई भी आर्मी में जवान हैं. इकराम की शहादत के 24 साल बाद भी परिवार को शहीद का निशान (स्मारक) नहीं मिल सका है.

कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे इकराम :शहीद इकराम के भाई बताते हैं कि इकराम खान का जन्म सीकर जिले के रामगढ़ शेखावाटी उपखंड के गांव रोलसाहबसर में 1976 में हुआ था. 18 साल की उम्र में वो सेना में भर्ती हो गए. उनकी शादी झुंझुनू निवासी बुलकेश बानो के साथ हुई थी और दोनों के 2 बेटे भी हैं. भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था. युद्ध की घोषणा होते ही उन्हें जम्मू कश्मीर के राजोरी इलाके में तैनात किया गया. युद्ध के दौरान उन्होंने पाकिस्तान की 3 घुसपैठियों को मार गिराया. इस दौरान उनके आंख के पास गोली लगी, जिससे वो घायल हो गए. इकराम को अस्पताल ले जाया गया, जहां एक सप्ताह के बाद वो शहीद हो गए. शहीद को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सरकार की ओर से नवाजा गया.

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24 साल से निशान को तरस रहा परिवार :कारगिल युद्ध में ऑपरेशन रक्षक के दौरान शहीद हुए मोहम्मद इकराम के परिवार को निशान के लिए सरकार की ओर से उनके पैतृक गांव में ही भूमि का आवंटन किया गया था. दावा है कि शहीद के निशान (स्मारक) को लेकर शहीद के पिता कैप्टन इकबाल ने कई बार सरकारी दफ्तरों और राजनेताओं के चक्कर लगाए, लेकिन कहीं से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली. शहीद के निशान (स्मारक) लगाने की पिता की इच्छा भी अधूरी रही और वह करीब 3 वर्ष पूर्व चल बसे. इसके बाद अब शहीद का परिवार अपने खर्च पर निशान (स्मारक) बनवा रहा है.

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