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सीकर का ये गांव बना प्रर्यावरण प्रहरी...लोग यहां विवाह, जन्मदिन और सालगिरह के मौकों पर लगाते हैं पेड़

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर सभी लोग पेड़ पौधे लगाने की अपील करते हैं. इस मौके पर सीकर के कंचनपुर गांव के लोगों ने भी एक नया उदाहरण देकर लोगों को वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित किया है. यहां लोग अपने जन्मदिन, परिजनों के स्मृति दिवस और शादी विवाह की वर्षगांठ पर पौधारोपण करते हैं. जिससे पर्यावरण को स्वच्छ और सुरक्षित किया जा सके.

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सीकर में लोगों की मदद से लगाए पेड़

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Published : Jun 5, 2020, 12:17 PM IST

श्रीमाधोपुर (सीकर). श्रीमाधोपुर के ग्राम कंचनपुर के सभी लोगों की सहभागिता से कंचनपुर गांव पर्यावरण संरक्षण का अनुठा उदाहरण बन कर सबको प्रेरणा दे रहा है. गांव के लोग अपने जन्मदिन, परिजनों के स्मृति दिवस और शादी विवाह की वर्षगांठ पर पौधारोपण और पौधों के संरक्षण में सर्दी गर्मी से बचाव के लिए काम करते हैं.

सीकर में लोगों की मदद से लगाए पेड़

गांव के कृष्ण यादव, सतीश यादव, विनोद यादव, महेश घीया और संदीप जांगिड़ जैसे कुछ युवाओं ने 6 साल पहले पर्यावरण संरक्षण का कार्य शुरू किया था, जो आज सभी ग्रामीणों का संकल्प बन गया है. शुक्रवार को सर्व समाज मोक्ष धाम में 14 सौ और श्री कृष्ण गौशाला कंचनपुर के माध्यम से 7 सौ पौधे खड़े किए गए हैं, ये सब सामाजिक सहभागिता से संभव हुआ है.

रोटरी क्लब श्रीमाधोपुर के अध्यक्ष पुरुषोत्तम शर्मा ने बताया कि सर्व समाज कंचनपुर का हरित कंचनपुर का सपना एक जन अभियान है. जिसमें गांव की जनता, जन प्रतिनिधि और पंचायत प्रशासन का समन्वय और सहयोग प्राप्त है. इस मुहिम में सालों से समर्पित भाव से जुटे रहे सुनील जांगिड़ जो इस बार सरपंच निर्वाचित होने के बाद सर्व समाज के हरित कंचनपुर अभियान को विशेष बल मिल गया है.

वहीं, सुनील जांगिड़ जो कि स्वच्छ, स्वस्थ और हरित कंचनपुर के लिए आगामी पांच सालों में 51 सौ पेड़ों के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. कंचनपुर कांवट और श्रीमाधोपुर, कोटडी रोड पर दोनों तरफ के साथ जोहड़े, खेल मैदान पर जन सहभागिता, मनरेगा और अन्य योजनाओं के माध्यम से हजारों की संख्या में पेड़ लगाकर जल, जंगल, जमीन के सरंक्षण और सर्वधन का संकल्प ले कर पूरा करने में सरपंच लगे हुए हैं.

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आज से करीब दो दशक पहले रंग-बिरंगी चिड़िया, कबूतर, गौरैया, मोर और अन्य पक्षी खूब दिखते थे. जो अब फिर से ज्यादा दिखाई देने लगे हैं. ये संकेत है कि पर्यावरण बिल्कुल पारदर्शी हो गया है. चिड़िया, कबूतर और उन्मुक्त घूमते नाचते मोर इस बात की तस्दीक कर रही है कि हमारा पर्यावरण इस वक्त प्रदूषण मुक्त है. आजकल चिड़िया, कबूतर और मोर बिना किसी डर के अपने पंख फैलाकर नाचते हुए देखे जा सकते हैं.

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