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Published : Dec 17, 2020, 9:38 PM IST

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SPECIAL: हाईवे बनाने के लिए ले ली किसानों की जमीन, मुआवजा अब तक नहीं दिया...ठगा सा महसूस कर रहे अन्नदाता

सीकर जिले में किसानों की करोड़ों की जमीन को हाईवे बनाने के लिए अधिग्रहीत किया गया है लेकिन इसका पूरा मुआवजा अभी तक उन्हें नहीं मिला है. मुआवजे को लेकर समय-समय पर किसान प्रदर्शन भी करते रहे लेकिन सरकार और प्रशासन के आला अफसरों के कानों पर जूं तक नहीं रेगी. आलम ये है कि करीब 8 साल से किसान मुआवजे के लिए चक्कर काट रहे हैं.

Farmers not getting compensation, land acquired for highway,  जमीन का अधिग्रहम, जमीन का मुआवजा
सालों से मुआवजे के लिए आस लगाए बैठे हैं किसान

सीकर.जिले में किसानों की करोड़ों की जमीन अलग-अलग हाईवे के लिए अधिग्रहित की गई है लेकिन किसानों को इस जमीन का पूरा मुआवजा अभी तक नहीं मिला है. मुआवजे को लेकर समय-समय पर किसान प्रदर्शन भी करते रहे लेकिन उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई. आलम ये हैं कि अब भी किसान मुआवजे के लिए चक्कर काट रहे हैं. कुछ मामले तो सात से आठ साल पुराने हैं और अभी भी किसान चक्कर ही लगा रहे हैं.

सालों से मुआवजे के लिए आस लगाए बैठे हैं किसान

जब ये हाईवे बने तो किसानों से कहा गया था कि जल्द ही उनको उनकी जमीन का मुआवजा दे दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सीकर जिले के आज भी दर्जनों किसान अपने हक के लिए इंतजार कर रहे हैं. किसानों का करोड़ों का मुआवजा अटका हुआ है और कब मिलेगा यह भी तय नहीं है.

सीकर जिले की बात करें तो पिछले 10 सालों में यहां से जो प्रमुख हाईवे निकले हैं और जो फोरलेन हाईवे बने हैं उनका मुआवजा बाकी है. जिले में रींगस से लेकर सीकर तक और सीकर से लक्ष्मणगढ़ तक NH-11 और NH-52 को फोरलेन किया गया था. इसके अलावा NH-65 नया बनाया गया था और रामगढ़ और फतेहपुर तहसील के गांव में से निकला था. इसके अलावा सालासर से लेकर लक्ष्मणगढ़ तक और लक्ष्मणगढ़ से मुकुंदगढ़ तक स्टेट हाईवे को चौड़ा किया गया था और दो जगह टोल बनाए गए थे. इन सब हाईवे का करोड़ों रुपए का मुआवजा आज भी किसानों का बकाया चल रहा है और किसान इसके लिए परेशान हो चुके हैं लेकिन मुआवजा नहीं मिल रहा है.

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किसान अपने हक के लिए कोर्ट का भी दरबाजा खटखटाया था लेकिन वहां से भी अभी तक कोई अच्छी खबर किसानों के लिए नहीं मिली है. ज्यादातर मामले कोर्ट में अटके हुए हैं.

इन प्रोजेक्ट का पैसा बकाया है अभी भी...
NH-11:इस हाईवे को फोरलेन किया गया था और बाद में इसका नाम NH-52 कर दिया गया. रींगस से लेकर सीकर तक 34 गांव है जिनके किसानों की जमीन अधिकृत की गई थी. इस प्रोजेक्ट का अभी भी 4 करोड़ 57 लाख 24 हजार 33 रुपए का मुआवजा बाकी चल रहा है और ज्यादातर मामले कोर्ट में अटके हुए हैं.

खुडी रसीदपुरा टोल प्लाजा: इस टोल प्लाजा के लिए 96 में लाख 73 हजार 365 रुपए की मुआवजा राशि स्वीकृत की गई थी और अभी तक किसी को भी मुआवजा नहीं मिला है. मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. जबकि 2014 से यहां के किसान मुआवजे के लिए चक्कर काट रहे हैं.

NH-65:फतेहपुर सालासर सेक्शन के लिए 51 करोड़ 41 लाख रुपए का मुआवजा स्वीकृत किया गया था. जिसमें से अभी भी 15 करोड़ 25 लाख रुपए का मुआवजा किसानों को नहीं दिया गया है और यह पैसा भी लंबे समय से बकाया है. 2011 में इस हाईवे का काम शुरू हुआ था.

NH-11: फतेहपुर क्षेत्र के लिए 11 लाख 55 हजार 106 रुपए का मुआवजा स्वीकृत हुआ था. जिसमें से करीब आठ लाख रुपए का मुआवजा अभी भी लंबित चल रहा है.

फतेहपुर मंडावा हाईवे: इस हाइवे के लिए एक करोड़ 15 लाख 42 हजार रुपए का मुआवजा स्वीकृत किया गया था. अभी तक 69 लाख रुपए का मुआवजा ही वितरित किया जा सका है. बांकी मुआवजा अभी लंबित चल रहा है.

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किसान अपनी जमीन के अधिग्राहण को लेकर शुरू से ही विरोध करते रहे हैं. इसके लिए किसानों ने धरना प्रदर्शन भी किया और फिर कोर्ट का सहारा भी लिया. सरकार और किसानों की लंबी बातचीत के दौरान भरोसा दिलाया गया था कि किसानों को उनकी जमीन का उचित मुल्य सरकार जल्द से जल्द देगी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की कुछ मामले तो 8 साल से भी ज्यादा पुराने हैं और किसान अभी भी मुआवजे का इंजतार कर रहे हैं. हालांकि कुछ किसानों को मुआवजा मिला भी है लेकिन उन्हें भी पूरा नहीं अभी तक नहीं मिला.

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