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छात्र संघ चुनाव के दौरान लाठीचार्ज के विरोध में आज शहर बंद - जिले भर में चक्का जाम

सीकर में छात्र संघ चुनाव में हुए विवाद में लाठीचार्ज के मामलें में माकपा कार्रवाई की मांग कर रही है. इसको लेकर सोमवार को शहर में बंद का ऐलान किया गया है. वहीं जिले भर में करीब डेढ़ सौ जगह जाम लगाया जाएगा. दूसरी तरफ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा कर रहा है.

protest against lathicharge, Chakka jam Sikar, चक्का जाम सीकर, नहीं खुले शहर के बाजार

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Published : Sep 9, 2019, 10:19 AM IST

सीकर. श्री कल्याण राजकीय कन्या महाविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव में हुए विवाद और उसके बाद पुलिस की ओर से किए गए लाठीचार्ज के मामले में कार्रवाई की मांग को लेकर सोमवार को जिले भर में चक्का जाम का ऐलान किया गया है. माकपा सहित विभिन्न संगठनों ने चक्का जाम का ऐलान किया है. वहीं जिले भर में करीब डेढ़ सौ जगह जाम लगाया जाएगा.

सोमवार को सीकर में बंद का ऐलान

बता दें कि लाठीचार्ज मामलें में दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर शहर में बंद का आह्वान किया गया है. साथ ही चेतावनी दी गई है कि जब तक मांगे नहीं मानी जाती है तब तक आंदोलन जारी रहेगा. सीकर से गुजरने वाले सभी हाईवे जाम रहने की वजह से लोगों को बड़ी परेशानी होने वाली है. शहर के बाजार सुबह से ही बंद है और एक भी दुकान खुली नजर नहीं आ रही. बंद के अलावा चक्का जाम की वजह जो सीकर से बाहर जयपुर या अन्य जगह पर जाना चाहते हैं, उन लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी होने वाली है.

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साथ ही जयपुर से बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़ और झुंझुनू सहित अन्य जिलों में जाने वाले लोगों को भी बहुत परेशानी उठानी पड़ेगी. क्योंकि सीकर में हाईवे जाम मिलेगा. दूसरी तरफ कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन चाक-चौबंद व्यवस्था का दावा कर रहा है. पुलिस का कहना है कि जयपुर से एसटीएफ बुलाकर शहर में तैनात की गई है.

क्या प्रशासन की ढिलाई की वजह से हो रही परेशानी?

इस मामले में 10 दिन पहले चेतावनी दी गई थी कि अगर मांगे नहीं मानी जाती हैं तो चक्का जाम किया जाएगा. साथ ही बाजार बंद किए जाएंगे. माकपा सहित विभिन्न संगठनों की मांग है कि लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाए. इसके अलावा एसपी और डीएसपी को हटाया जाए. इस मामले में हकीकत यह है कि पिछले 10 दिन में प्रशासन ने हल निकालने की कोई बड़ी कोशिश नहीं की. नहीं तो 10 दिन में बातचीत से मसला सुलझा जा सकता था, जिससे जनता को परेशानी नहीं झेलनी पड़ती.

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