सीकर.जिले के कोलीडा गांव में कुई खोदते समय धंसे मजदूर के शव को 9 दिन बाद बाहर निकाला जा सका. सिविल डिफेंस, आर्मी और एनडीआरएफ की टीम ने मिलकर ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया. बता दें, मजदूर 45 फीट गहराई में फंसा हुआ था. मजदूर के शव को जयपुर मेट्रो की पाइलिंग मशीन के माध्यम से बाहर निकाला गया.
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22 जून को दब गया था मजदूर
बता दें, 22 जून को सीकर के कोलीडा ग्राम पंचायत में मजदूर मनरूप मील कुई खोदने का कार्य कर रहा था. इस दौरान वहां अचानक मिट्टी ढह गई और मजदूर मनरूप मील करीब 45 फीट गहराई में मिट्टी में दब गया. इसके बाद ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को घटना की सूचना दी. सूचना मिलने पर जिला प्रशासन ने रेस्क्यू के लिए मौके पर सिविल डिफेंस टीम को भेजा.
कुई से 9 दिन बाद निकाला जा सका मजदूर का शव 9 दिन बाद शव को निकाला गया बाहर
सिविल डिफेंस की टीम ने लगातार 4 दिनों तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. इसके बाद जयपुर से SDRF टीम को बुलाया गया, SDRF टीम ने भी तीन दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया लेकिन शव को नहीं निकाला जा सका. इसके बाद 28 जून को NDRF और सेना को बुलाया गया. 29 जून से जयपुर मेट्रो की पायलिंग मशीन के माध्यम से गड्ढा खोदा गया, जो बुधवार सुबह 4 बजे तक चला. इसके बाद सिविल डिफेंस और एनडीआरएफ के 3 जवान उसमें उतरे और बुधवार को 9 दिन बाद मजदूर के शव को बाहर निकला.
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पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंपा
इसके बाद मजदूर के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय स्थित कल्याण राजकीय चिकित्सालय लाया गया और पोस्टमार्टम कर शव परिजनों को सौंप दिया गया. सिविल डिफेंस टीम के स्वयंसेवक महेंद्र ने बताया कि सेना, एनडीआरएफ और जयपुर सिविल डिफेंस के सहयोग से मजदूर के शव को बाहर निकाला गया.
बार-बार मिट्टी ढहने के कारण आई दिक्कत
मनरूप को बाहर निकालने का प्रयास 22 जून से ही लगातार किया जा रहा था, लेकिन समस्या यह थी कि मिट्टी बहुत ज्यादा नरम थी. मिट्टी नरम होने के कारण लगातार गिर रही थी. इसके चलते बुधवार को भी रेस्क्यू में लगे जवान दो बार बाल-बाल बच पाए. सीकर के उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल 24 घंटे यहां पर लगातार 9 दिन तक प्रशासन के साथ मौजूद रहे. उनके साथ-साथ स्थानीय सरपंच भी डटे रहे.
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परिजनों ने की मुआवजे की मांग
मृतक मजदूर मनरूप मील के पुत्र ने बताया कि हम दो भाई और दो बहन हैं. ऐसे में हमारी प्रशासन और सरकार से मांग है कि हमें मुआवजा प्रदान किया जाए. मृतक के बेटे ने बताया कि परिवार अब तक पिता की कमाई से ही चल रहा था. ढाई महीने पहले विदेश गया बेटा भी अब लौट आया है और वह खुद अभी पढ़ाई कर रहा है. ऐसे में परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए उचित मुआवजा दिया जाए.
पहले भी मिट्टी ढहने से हुई है मौत
बता दें, कुछ दिनों पहले पालीजिले केसोजत रोड थाना क्षेत्र के बोरनडी गांव में भी एक कच्चे कुएं में मरम्मत के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया था. कुएं में अचानक मिट्टी ढहने से एक मजदूर करीब 180 फीट गहरे कुएं में जा गिरा, जिससे उसकी मौत हो गई थी. वहीं, उदयपुर में भी मिट्टी ढहने से एक महिला की मौत हो गई थी.