सवाई माधोपुर. वनकर्मियों ने बताया कि गंगापुरसिटी क्षेत्र में मिला पैंगोलिन दुर्लभ प्रजाति का वन्यजीव है (Pangolin Found In Sawai Madhopur). फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक पहले भी इस क्षेत्र में पैंगोलिन मिला था. सलेमपुर गांव में जैसे ही ग्रामीणों को अजीब सा दिखने वाला वन्यजीव दिखाई दिया तो ग्रामीण सकते में आ गए. ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार को इसकी सूचना दी. सूचना पर नायब तहसीलदार वन विभाग की रेस्क्यू टीम के साथ मौके पर पहुंचे.
वन विभाग की टीम ने पैंगोलिन को रेस्क्यू किया और फिर उसे जंगल मे छोड़ दिया. गांव वालों को अजीब से दिखने वाले जीव को देख हैरानी हुई. वो सहमे हुए भी थे. उनके खौफ को देख वन विभाग की टीम ने उन्हें समझाने का प्रयास किया (Sawai Madhopur Pangolin rescued). ग्रामीणों को पैंगोलिन के बारे में बताया गया तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.
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पैंगोलिन को चींटीखोर या सल्लू सांप भी कहा जाता है. पैंगोलिन भारत मे अब लुप्त पर्याय दुर्लभ वन्यजीव है. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के मुताबिक दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है. इस जानवर की तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक हो रही है. खासतौर पर चीन में इसकी अधिक डिमांड है क्योंकि इसके खाल और मांस से पारंपरिक दवाइयां बनाई जाती है.
पैंगोलिन का दूसरा सबसे बड़ा इस्तेमाल पारंपरिक चाइनीज औषधि बनाने में होता है. पैंगोलिन के मांस और स्केल्स से अलग-अलग किस्म की दवाएं बनती है. हर दवा का उपयोग अलग-अलग बीमारियों के लिए होता है. पैंगोलिन के स्केल्स से बनने वाली दवाएं चॉकलेट के बार की तरह दिखती हैं, लेकिन यह काफी कठोर होती हैं.