राजसमंद.राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से राजसमंद-चित्तौड़गढ़ जिले के बॉर्डर पर स्थित मातृकुंडिया में आगामी 27 फरवरी को किसान सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. इसमें चित्तौड़गढ़, राजसमंद, उदयपुर और भीलवाड़ा के करीब 40 से 50 हजार लोगों के शिरकत करने की संभावना है. किसान पंचायत क्षेत्र में करने के पीछे कांग्रेस एक तीर से दो निशाने साधना चाहती है. ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में 25 तारीख के बाद चार जिलों में उपचुनाव की आचार संहिता लग सकती है, जिसमें राजसमंद, उदयपुर और भीलवाड़ा में आचार संहिता के दायरे में आ जाएंगे. ऐसे में चित्तौड़ जिले का मातृकुंडिया स्थान आचार संहिता के दायरे में नहीं आएगा.
इस किसान महापंचायत की तैयारियों को लेकर राजसमंद जिला प्रभारी मंत्री उदयलाल आंजना, वरिष्ठ कांग्रेस के नेता देवकीनंदन गुर्जर, चित्तौड़गढ़ के पूर्व विधायक सुरेंद्र जाड़ावत, पीसीसी सदस्य वीरेंद्र वैष्णव, कपासन के पूर्व प्रधान बद्रीलाल जाट समेत कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने सभा स्थल का मुआयना किया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को आयोजन को लेकर दिशा-निर्देश दिए. बता दें कि 27 फरवरी को होने वाले इस किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन पीसीसी चीफ समेत कई मंत्री विधायक और पदाधिकारी शिरकत करेंगे.
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राजसमंद जिला कांग्रेस कमेटी के सचिव कुलदीप शर्मा ने बताया कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के राजस्थान दौरे के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी अलग-अलग हिस्सों में सम्मेलन का आयोजन कर रही है, जिसमें केंद्र की सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन जारी रहेगा.
मातृकुंडिया में ही किसान पंचायत क्यों?
किसान पंचायत क्षेत्र में करने के पीछे कांग्रेस एक तीर से दो निशाने साधना चाहती है. माना जा रहा है कि प्रदेश में 25 तारीख के बाद चार जिलों में उपचुनाव की आचार संहिता लग सकती है, जिसमें राजसमंद, उदयपुर और भीलवाड़ा में आचार संहिता के दायरे में आ जाएंगे. ऐसे में चित्तौड़ जिले का मातृकुंडिया आचार संहिता के दायरे में नहीं आएगा. इसीलिए कांग्रेस पार्टी ने मातृकुंडिया को किसान सम्मेलन के लिए चुना है.
किसान महापंचायत की जरूरत क्यों?
प्रदेश में कांग्रेस पार्टी लगातार तीनों कृषि कानूनों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही है. आखिर ऐसे में किसान महापंचायत की जरूरत क्यों पड़ गई. जानकार सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी की हुई महापंचायत और राहुल गांधी के दौरे में अपेक्षाकृत भीड़ कांग्रेस पार्टी नहीं जुटा पाई थी. लेकिन सचिन पायलट की कोटखावदा, भरतपुर और दौसा महापंचायत में भीड़ का सैलाब उमड़ा था. ऐसे में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान के चलते डोटासरा खेमा यहां शक्ति प्रदर्शन कर अपनी ताकत दिखाना चाहता है.