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प्रताप के अपमान पर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मांगे माफी: देवनानी - राजस्थान बीजेपी

राजसमंद विधानसभा भाजपा चुनाव प्रभारी वासुदेव देवनानी गुरुवार को मीडिया से रूबरू हुए. उन्होंने महाराणा प्रताप के अपमान के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा. वहीं उन्होंने राजसमंद में हो रहे प्रदर्शन को भी कांग्रेस स्पॉन्सर्ड प्रदर्शन करार दिया.

Maharana Pratap insult, राजसमंद न्यूज
वासुदेव देवनानी ने सीएम और शिक्षा मंत्री से की माफी की मांग

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Published : Apr 15, 2021, 2:31 PM IST

राजसमंद. भाजपा प्रभारी वासुदेव देवनानी ने कहा कि महाराणा प्रताप के अपमान के बारे में गुलाब चंद कटारिया ने दो बार माफी मांग ली है. ऐसे में यह मुद्दा यहीं खत्म हो जाना चाहिए था लेकिन कांग्रेस इसे बेवजह तूल दे रही है. देवनानी ने कहा कि कटारिया ने कुछ गलत शब्दों का इस्तेमाल किया है, वह निंदनीय है और उन्होंने खुद इस बारे में माफी मांग ली थी. ऐसे में राजसमंद में हो रहा प्रदर्शन कांग्रेस का स्पॉन्सर्ड प्रदर्शन है.

वासुदेव देवनानी ने सीएम और शिक्षा मंत्री से की माफी की मांग

देवनानी ने कहा कि 17 अप्रैल को मतदान के बाद यह मुद्दा अपने आप ही गौण हो जाएगा. देवनानी ने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार में शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को महान बताया था लेकिन वर्तमान में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने उसे पाठ्यक्रम से हटाकर महाराणा प्रताप का अपमान किया है. साथ ही उन्होंने हल्दीघाटी के युद्ध को भी प्रताप की हार बताया. जबकि वास्तविकता यह नहीं थी. देवनानी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने फिर से अकबर को महान बता दिया. कहीं ऐसा लगता है कि कांग्रेस अकबर की रिश्तेदार है.

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देवनानी ने कहा कि पिछले दिनों शिक्षा मंत्री ने अपने आवास पर मिलने आए शिक्षकों का अपमान किया था. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु को महान बताने की परंपरा रही है लेकिन शिक्षा मंत्री ने गुरुओं का ही अपमान किया है.

उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप को हारा हुआ योद्धा बताने और अकबर को महान बताने के मुद्दे पर अभी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री डोटासरा ने माफी नहीं मांगी है. वासुदेव देवनानी ने कहा कि महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुंभलगढ़ में जहां कभी भगवान एकलिंग नाथ के जयकारे गूंजते थे. कांग्रेस सरकार ने वहां नमाज की इजाजत देकर तुष्टीकरण की नीति का नमूना पेश किया है लेकिन राजपूत समाज इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं, यह बड़ा सवाल है. इस बारे में प्रताप सिंह खाचरियावास को आगे आकर जवाब देना चाहिए.

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