राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

एक ऐसा मंदिर जहां आदिवासी लूट ले जाते हैं प्रभु का भोग, अनूठी है यह 350 साल पुरानी परंपरा - 350 year old tradition

राजस्थान के राजसमंद में एक ऐसा मंदिर है, जहां प्रभु को लगाया जाने वाला अन्नकूट का भोग उनके सामने से आदिवासी लूटकर ले जाते हैं. करीब 350 वर्षों से ये परंपरा निभाई जा रही है. इस परंपरा को देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.

ETV Bharat Rajasthan News
अन्नकूट लेकर जाते हैं आदिवासी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 13, 2023, 5:34 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 7:40 AM IST

आदिवासी लूट ले जाते हैं प्रभु का भोग

राजसमंद. दिवाली के अगले दिन अन्नकूट पर्व हर जगह पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस पर्व पर राजस्थान के राजसमंद स्थित श्रीनाथजी मंदिर में आदिवासी 350 साल पुरानी परंपरा को निभाते हुए 'ठाकुरजी' के सामने से अन्नकूट का भोग लूट ले जाते हैं. इसके लिए वे बाकायदा रात को टोली के रूप में आते हैं और जमकर लूटपाट मचाते हैं. सोमवार को पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधान पीठ नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर में अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया गया. रात को प्रभु को छप्पन भोग का प्रसाद चढ़ाया गया जिसे आदिवासी समुदाय के लोगों ने लूटा.

रात में लूटते हैं भोगः अन्नकूट के मौके पर प्रभु श्रीनाथजी, विट्ठलनाथजी और लालन को छप्पन भोग लगाया गाया, जिसे श्रीनाथजी के सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग लूट कर ले गए. रात ग्यारह बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई है. नाथद्वारा नगर के आसपास के ग्रामीण अंचलों से मंदिर आए आदिवासी श्रीनाथजी के सामने रखे छप्पन भोग और चावल के प्रसाद को लूट कर ले गए.

आदिवासी लूट ले जाते हैं प्रभु का भोग...

पढ़े: Govardhan Puja 2023 : गोवर्धन पूजा की तिथि को लेकर हैं भ्रांतियां तो पढ़ें ये खबर...

350 सालों से निभाई जा रही है परंपरा:आदिवासी लोगों ने बताया कि इस चावल का उपयोग वे अपने सगे संबंधियों में बांटने तथा औषधि के रूप में करते हैं. आदिवासी इस चावल को अपने घर में रखते हैं. उनकी मान्यता है कि इससे घर मे संपूर्णता बनी रहती है और किसी प्रकार के कष्ट नही आते हैं. ऐसी मान्यता है कि प्रसाद ग्रहण करने से बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं.

अनूठी है यह परंपरा...

मंदिर के युवराज चिरंजीव विशाल बावा ने बताया कि श्रीजी का अन्नकूट महोत्सव तब तक पूरा नहीं होता जब तक चारों वर्णों को उनका प्रसाद प्राप्त नहीं हो जाता. वर्षों से यह परंपरा रही है कि श्रीनाथजी के सन्मुख से आदिवासी समुदाय के लोग प्रसाद ले जाते हैं. ये उनकी अपनी अलग भक्ति और प्रभु के प्रति प्यार है. सोमवार को अन्नकूट उत्सव के अवसर पर रात ग्यारह बजे के करीब अन्नकूट लूट की परंपरा निभाई गई, जिसमें आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए आदिवासी समाज के स्त्री पुरुषों ने अन्नकूट के चावल व अन्य सामग्रियों को लूटा. इससे पूर्व रात्रि 9 बजे श्रीजी के दर्शन खुले जो करीब दो घंटे जारी रहे. अन्नकूट लूट की इस परंपरा को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में विभिन्न राज्यों से आए दर्शनार्थी भी मौजूद रहे.

Last Updated : Nov 14, 2023, 7:40 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details