देवगढ़ (राजसमंद).वैज्ञानिक युग में मौसम का अनुमान विभिन्न आधुनिक यंत्रों के जरिए लगाए जाते हैं. लेकिन राजसमन्द जिले के भीम तहसील क्षेत्र के गांव मण्डावर स्थित केरुण्डा बाबा रामदेव मंदिर पर मौसम को लेकर आज भी सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार अनुमान लगाया जाता है. इसी के तहत मंगलवार को भी परंपरागत तरीके से बारिश का अनुमान लगाया गया. स्थानीय लोगों ने बताया कि परम्परागत रूप से करीब 600 साल से यहां मौसम और बारिश की भविष्यवाणी का सतत क्रम चला आ रहा है.
ऐसे लगाते हैं अनुमानः मण्डावर गांव से पश्चिम दिशा में सघन वन क्षेत्र में तेज पहाड़ी ढलान पर रोट (Traditional method to predict rain in Rajsamand) और कुंड शुगन सहित मंदिर परिसर में दो तरह से शगुन देखे गए हैं. इसके अनुसार अच्छे संकेत मिले है. मगरा मेवाड़ में अच्छी वर्ष की भविष्य वाणी का शगुन मिला है. पहला शगुन चार अलग-अलग कुंड जो कि वर्षा काल के चार महीनों व चार क्षेत्रों मारवाड़, मालवा, मेवाड़ व मगरा के होते हैं.
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इन सूखे पड़े कुण्ड में पूजा-अर्चना के बाद पानी आने व जल स्तर कम ज्यादा होने के आधार पर भविष्य के मौसम का आंकलन लगाया जाता है. वहीं दूसरे शगुन के रूप में लाखागुड़ा के दलाराम सालवी के सानिध्य में सवा पांच किलो आटे का बड़ा रोट कुंड से निकले पानी से बनाकर उस पर कच्चा धागा लपेटा जाता है. इसे धधकते अंगारो पर कई घंटो के लिए छोड़ दिया जाता है.
सदियों पुरानी परंपरा के जरिए लगाया बारिश का अनुमान आने वाले समय में वर्षा व जमाना अच्छा होने पर इसका कच्चा धागा नही जलता है. रोट के पकने की अवस्था से वर्षा का सटीक आंकलन किया जाता है जो की मण्डावर गांव में आम्बा का कुआं (मालातो की गुआर) में मंगलवार सुबह दिखाया गया. इसके अनुसार आगामी वर्ष में धन्यधान्य से पूर्ण व सामान्य से अधिक बरसात की सुखद आस जगी है. इसके बाद मण्डावर के ही खजुरिया - बादरिया- रोहिड़ा के मध्य बड़वा कुआं पर रोट को मेलार्थियों व ग्रामीणों में वितरण किया गया.