देवगढ़ (राजसमंद). भारत की समृद्ध कला परंपरा में लोक-कलाओं का गहरा रंग है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक इस कला की अमरबेल फैली हुई है. हाथों मे कूंची और लोक जीवन की आस्था को जीवंत करने का विचार, जैसा कुछ नजारा था लोक कला को जीवंत करने के संदेश में.
देवगढ़ की महिलाओं ने वर्ली पेन्टिंग के माध्यम से दिया लोककला को जीवंत करने का संदेश देवगढ़ में आयोजित युवा कार्यक्रम खेल मंत्रालय भारत सरकार के नेहरू युवा केंद्र के कैरियर महिला मण्डल की ओर से एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें देवगढ़ के साथ ही आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की कई महिलाओं और युवतियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता मण्डल संरक्षक पुष्पा जोशी, शिल्पा सेन, चेतना सेन और मुख्य अतिथि प्रसिद्ध चित्रकार केशव वरनोति सहित मंडल अध्यक्ष निशा चूंडावत की ओर से की गई.
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देवगढ़ की महिलाओ ने वर्ली पेन्टिंग के माध्यम से दिया लोककला को जीवंत करने का संदेश बता दें कि राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में मण्डल स्तर पर कई आयोजन किए जा रहे हैं. इसी कड़ी में बुधवार को लोक कला पर एक दिवसीय कार्यशाला रखी गई. चित्रकार केशव वरनोति ने बताया कि कला भावनाओं और कल्पनाओं को बयां करने का सबसे अच्छा तरीका है और यह व्यक्ति को मानसिक रूप से भी खुश करती है. उन्होंने कहा कि हुनर हर किसी में होता है, बस उसे सही समय पर पहचान कर मेहनत करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आसपास की महिलाएं अगर वर्ली सीखती हैं तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधर जाएगी और वह आत्मनिर्भर बन सकती हैं.
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वहीं प्रशिक्षक की ओर से वर्ली पेंटिंग और कला की बारीकियों महत्व और उनकी पहचान के बारे में भी जानकारी दी गई. वहीं इस अवसर पर प्रशिक्षण में अवंतिका शर्मा, ममता रेगर, संगीता रेगर, भगवती रेगर, बसंती रेगर, हेमलता रेगर, निर्मला सुथार,मानवी प्रजापत, गिरजा प्रजापत , संगीता सेन , रवीना वैष्णव, दीपा बैरागी, मोनिका सेन, विष्णु कंवर, खुशबू कुमारी वैष्णव, प्रमिला रेगर, ज्योति व्यास, निकिता, सुनिता आच्छा, जयश्री उपाध्याय, प्रमिला बांगड़, रुबीना बानू , पूनम पंवार, निर्मला कुमारी रेगर, चंचला गुर्जर, रेखा रेगर, गायत्री चंदेल सहित आसपास की कई ग्रामीण और नगरीय महिलाओं ने भाग लिया.