नाथद्वारा (राजसमंद). कोरोना महामारी के रोकथाम के लिए लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों के रहने के लिए आश्रय स्थल बनाए गए हैं. इन आश्रय स्थलों में लोग आने से अक्सर कतराते हैं. उन्हें लगता है यहां उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है. इन सब बातों को झूठा साबित कर रहा है राजसमंद के नाथद्वारा का यह शेल्टर होम. यहां पर आम लोगों के साथ ही गर्भवती महिलाओं की पूरी तरह से देखभाल की जा रही है.
रोजमर्रा की सारी जरूरतों के सामान उपलब्ध
दरअसल, नाथद्वारा में जिला स्तरीय आश्रय स्थल अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन नाथूवास में बनाया गया है. यहां के उपखण्ड अधिकारी ने आश्रय स्थल के लिए मनसुख डामोर, तहसीलदार नाथद्वारा को प्रभारी अधिकारी और सत्यनारायण बंसल को श्रमिकों की काउन्सलिंग के लिए नियुक्त किया है. आश्रय स्थल में आवास, भोजन और चाय नाश्ता, चिकित्सा सुविधा, प्रशासनिक व्यवस्थाएं, काउंसलर, रोजमर्रा की सामग्री जैसे साबुन, टूथपेस्ट, तेल, डिटरजेंट आदि की व्यवस्थाएं की गई है. साथ ही होटल परिसर की नियमित रूप से सफाई की जा रही है.
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102 प्रवासी श्रमिकों का बना सहारा
नाथद्वारा उपखण्ड अधिकारी अभिषेक गोयल ने बताया कि वर्तमान में आश्रय स्थल में कुल 102 प्रवासी श्रमिक निवास कर रहे हैं. इनमें पोकरण (जैसलमेर) से पैदल 380 कि.मी. की दूरी तय करके 68 श्रमिक जो कि रतलाम (म.प्र.) के हैं. ये सभी वहीं तारामीरा की फसल कटाई के लिए गए थे. जिसमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. इनको केलवा के पास रोक कर स्वास्थ्य परीक्षण करवा कर प्रशासन के द्वारा इस आश्रय स्थल में रुकवाया गया है.