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हजारों महिलाओं की हिम्मत बनीं 'भावना' से मिलिए.... - राजसमंद की खबर

हजारों महिलाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा कर राजसमंद की भावना ने मिसाल कायम की है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तहत हुए राज्यस्तरीय कार्यक्रम में भावना पालीवाल को राजसमंद की 'विशिष्ट महिला' का सम्मान प्रदान किया गया. कैसे भावना की मेहनत और सोच रंग लाई. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पेश है ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

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राजसमंद की भावना पालीवाल

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Published : Mar 7, 2020, 12:10 AM IST

Updated : Mar 7, 2020, 8:49 AM IST

राजसमंद.समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए घर से निकली ये भावना पालीवाल हैं. जिन्होंने गरीब, मध्यम, खेतिहर, मजदूर और घरेलू महिलाओं को न केवल उनकी पहचान दिलाई, बल्कि उन्हें चाहरदीवारी से निकाल कर हाइटेक जमाने के साथ चलने को तैयार किया.

राजसमंद की भावना पालीवाल

भावना को उनके इस काम के लिए विशिष्ट महिला के सम्मान से नवाजा गया है. ये सम्मान इन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तहत हुए राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राजस्थान के 'बेटी बचाओ' की ब्रांड एंबेसेडर अनुपमा सोनी ने दिया.

हमारे देश में पुरूष प्रधान समाज में अक्सर यह सोचा जाता है कि महिलाएं वह काम नहीं कर सकती, जो पुरुष करते हैं. समाज के इसी मिथक को भावना पालीवाल ने झुठलाने की ठानी. भावना ने ने केवल मजबूत हौसले से पहले खुद का करियर संवारा और अब वह कई महिलाओं की कामयाबी का जरिया भी बन रही हैं.

बचपन से ही बाल विवाह को मिटाने की ठानी

आमेट में जन्मी भावना पालीवाल का ससुराल देवगढ़ है. भावना को बचपन से ही बालविवाह से नफरत थी. छोटी उम्र में बालविवाह की स्थिति देखकर वे मन मसोस कर रह जाता थीं. तभी उन्होंने महिलाओं को इस अभिशाप से बचाने की ठान ली.

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ऐसे में उन्होंने पहले महिलाओं को सशक्त बनाने वाले सभी गुण सीखे और अब वह उन गुणों को महिलाओं को सिखाकर उन्हें आत्म निर्भर बना रही हैं. भावना पालीवाल आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को फैशन डिजाइनिंग संग सिलाई, कढ़ाई और मेहंदी लगाने का हुनर सिखाती हैं. जिससे वो आत्मनिर्भर बन सकें.

प्रशिक्षण के अलावा अंधविश्वास की डोर को भी तोड़ती हैं भावना

भावना ने बताया कि जहां समाज एक ओर समाज नारी को लक्ष्मी का रूप मानकर उसकी पूजा-अर्चना करता है. वहीं, दूसरी ओर जब वो गांवो में जाती हैं तो पता चलता है कि घर के एक एक कोने में पड़ी रहना, रसोई, मंदिर या अपने घर में भी प्रवेश नहीं करना पुरुषों के संपर्क में नहीं आना सहित कई दकियानूसी बातें महिलाओं को झेलनी पड़ती है. यहां तक की वो शारीरिक रूप से बीमार भी हो जाती है, तो कोई नहीं पूछता.

भावना गांव-गांव के घरों में जाकर लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स ने जुड़ी सारी जानकारी देती हैं. इसके साथ ही महिलाओं को सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करने की भी हिदायत देती हैं. पीरियड्स के दौरान तो लड़कियां कई बार पैड्स कैसे इस्तेमाल करना है, यह तक नहीं जानती, तो भावना खुद इसके इस्तेमाल करने के तरीके बताती हैं. भावना का कहना है कि महिलाओं के अशुद्ध होने का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, बल्कि यह सिर्फ समाज में सदियों से चली आ रही परंपरा है.

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भावना को मिल चुके हैं कई सम्मान

  • अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राज्यस्तरीय समारोह 2020 में राजसमंद की विशिष्ट महिला का सम्मान
  • प्रदेश की पहली मोबाइल वेन भावना को आपने आगे के कार्यो के लिए सरकार द्वारा मिली
  • राष्ट्रीय स्तर पर 'डिजिटल बेटी' सम्मान केन्द्रीय मंत्री डॉ. रविशंकर प्रसाद द्वारा
  • 2019 में हरियाणा मे महिला रत्न अवार्ड
  • अंतराष्ट्रीय मैत्री सम्मेलन जयपुर में 'विविधता में एकता' सम्मान
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा 'बेटियां है अनमोल' सम्मान
  • दिल्ली में इंटरनेशनल युथ सोसायटी द्वारा 'महिला गौरव' सम्मान
  • जिला स्तरीय सम्मान स्वाधानीता दिवस
  • महिला सशक्तिकरण के लिए डिजिटल सहेली सम्मान
  • राजस्थान सरकार उपखंड प्रशासन देवगढ़ द्वारा राजस्थान दिवस सम्मान
  • महिला दिवस पर देव जागरण संस्थान देवगढ़ द्वारा सम्मान
  • भारतीय हिन्दू सेना द्वारा राष्ट्रीय अलंकरण से सम्मानित

भावना हजारों महिलाओं को प्रशिक्षित कर चुकी हैं.जिसके चलते उन्हें राजसमंद की विशिष्ट महिला का सम्मान प्रदान किया गया.भावना के इस जज्बे को ईटीवी भारत भी सलाम करता है.

Last Updated : Mar 7, 2020, 8:49 AM IST

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