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चंद्रग्रहण 2019: मां यशोदा और नन्द बाबा अपने लल्ला की पूरी रात करते हैं रखवाली

देश में जहां खग्रास चंद्रग्रहण से पहले सूतक के दौरान सभी मंदिरो के कपाट बंद हैं. वहीं राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है जहां चंद्र ग्रहण के दौरान संध्या आरती भी की जाती है. साथ ही ग्रहण की पूर्ण अवधि तक श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए मंदिर का कपाट खुला रहता है.

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Published : Jul 16, 2019, 10:11 PM IST

श्रीनाथ द्वारा मंदिर

राजसमंद.अधिकतर मंदिर में गुरुपूर्णिमा के दिन दोपहर में खग्रास चंद्रग्रहण शुरू होने के श्रद्धालुओं का प्रवेश बंद हो गया है. वहीं राजसमंद के श्रीनाथ द्वारा में संध्या आरती के बाद श्रद्धालुओं का जारी है.

मां यशोदा और नन्द बाबा अपने लल्ला की पूरी रात करते हैं रखवाली

दरअसल, आज यानि 16 जुलाई की रात 1 बजकर 32 से खग्रास चंद्रग्रहण शुरू हो जाएगा. जो 17 जुलाई यानि बुधवार की सुबह 04:30 रहेगा. जिसके चलते मंगलवार शाम चार बजे से सूतक लग चुका है. सूतक के चलते देश के सभी मंदिरों के कपाट बंद हो चुके हैं. वहीं नाथद्वारा स्थित विश्व प्रसिद्ध श्रीनाथजी में संध्या आरती आरती के बाद मंदिर का कपाट दर्शन के लिए खोल दिया गया है. यहां पूर्ण ग्रहण काल तक मंदिर का कपाट खुला रहेगा. मंदिर मण्डल द्वारा लेट कर परिक्रमा करने वालों के लिए विशेष मीटिंग होगी. अधिकांश श्रद्धालु दंडवत परिक्रमा करेंगे. चंद्र ग्रहण का शुद्धिकरण काल सुबह पांच बजे होगा. तब दर्शन बंद होंगे और पूरे मंदिर को धोकर शुद्ध किया जाएगा. वहीं सुबह श्रद्धालु मंदिर कि परिक्रमा कर बनास नदी में डुबकी लगाएंगे.

दरअसल, श्रीनाथजी की मंदिर में उपस्थिति बाल रुप में होने के कारण चंद्रग्रहण काल में भी उनके दर्शन उपलब्ध होते हैं. श्रीनाथजी को 7वर्ष के बालक का स्वरूप मान कर सेवा कि जाती है. हलाकि मंदिर में ग्रहण के दौरान शयन को निसिद्ध किया गया है. ग्रहण से बालक स्वरूप श्रीजी को डर ना लगे इस भाव से नन्द बावा और माता यशोदा जी उनके पास बैठते हैं. उन्हे खिलाते रहते हैं. इसी भाव के चलते श्रीनाथ जी के कपाट को ग्रहण के दौरान भी बंद नहीं किया जाता. गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को श्रीनाथजी प्रभु को अनूठा श्रंगार सुशोभित कर लाड़ लड़ाया गया. साथ ही दिन मंदिर में आषाढ़ी भी तौली गई. मान्यता है कि ऐसा करने से वर्ष भर के लिए धन धान्य, वर्षा, रोग, उत्पादन सहित अन्य का अनुमान लग जाता है.

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