राजसमंद. जिले में नगर परिषद अब शहरी अपशिष्ट का विशिष्ट उपयोग करने की दिशा में पहल करने जा रहा है. इसके लिए अब वैज्ञानिक ढंग से कार्य किया जाएगा. इससे ना सिर्फ नगर परिषद की आय में इजाफा होगा, बल्कि शहर को कचरा मुक्त करने की दिशा में भी सफलता मिलेगी. ऐसा होने से ना तो सड़कों पर बेतरतीब पॉलीथिन और कागज उड़ते दिखेंगे और ना ही आमजन की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. साथ ही पशुओं की अकाल मौत पर भी रोक लगेगी. गायें भी प्लास्टिक खाकर बीमार नहीं पड़ेंगी.
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राजसमंद नगर परिषद ने कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण के लिए ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 9.11 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया है. वर्तमान में राजसमंद शहर में प्रतिदिन 27 टन कचरा संग्रहित होता है, जबकि अगले 50 साल को ध्यान में रखते हुए नगर परिषद द्वारा ये प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इसके तहत राजसमंद नगर परिषद ने विदर्भ वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड जयपुर और क्यूब बायो एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड से 20 साल के लिए एमओयू किया है. इस तरह कूड़े कचरे से एक तरफ खाद बनाया जाएगा, जबकि प्लास्टिक का अन्य उपयोग किया जाएगा.
कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करेगा राजसमंद नगर परिषद घरेलू कचरा जैसे घास, पत्तियां, बचा हुआ खाना, गोबर वगैरह का प्रयोग कर खाद बनाया जाएगा और कंपोस्ट खाद बनाकर बेचा जाएगा. ठोस कचरा प्रबंधन के तहत ठोस अपशिष्ट वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण एवं पुराने पड़े ठोस अपशिष्ट का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत निस्तारण किया जाएगा. इस तरह सड़कों, गली-मोहल्ले में बेतरतीब फैलते कचरे से प्रदूषण भी नहीं फैलेगा और लोगों में बीमारियां फैलने का खतरा भी नहीं रहेगा. साथ ही राजसमंद नगर परिषद की निजी आय में भी वृद्धि होगी. राजसमंद शहर के 45 वार्ड में घर-घर से कचरा संग्रहण का कार्य नगर परिषद की ओर से ही किया जाएगा. इसके लिए राजसमंद के गायरियावास में ठोस कचरा निस्तारण के लिए विशेष प्लांट लगाया गया है.
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बता दें कि राजसमंद शहर में रोजाना करीब 27 टन कचरे का उठाव होता है. गीले और सूखे कचरे का अलग-अलग हो रहा उठाव, लेकिन निस्तारण की व्यवस्था नहीं है. वैज्ञानिक तरीके से कचरा निस्तारण के लिए नगर परिषद का 2 कंपनियों से एमओयू हुआ है. प्रोसेसिंग प्लांट करीब 3 माह में शुरू हो जाएगा. प्लांट स्थापित करने के बाद नगर परिषद की ओर से किस्तों में भुगतान किया जाएगा. पहले पुराने कचरे का होगा निस्तारण. इसके बाद रोजाना शहर से एकत्रित होने वाले कचरे का उपयोग किया जाएगा.