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लॉकडाउन में श्रमिकों के लिए संजीवनी बना 'मनरेगा', बेबसी में कई प्रवासियों ने भी आजमाया हाथ

एक समय था जब मनरेगा योजना कई बार पार्टियों के बीच विवाद का कारण बनी, वही योजना अब संकट में श्रमिकों का सहारा बनकर आई है. इस महामारी से उत्पन्न हुई समस्या के कारण हजारों प्रवासी श्रमिक और अन्य संगठनों में काम करने वाले लोगों ने अब मनरेगा में हाथ आजमाया है.

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Published : Jun 4, 2020, 6:09 PM IST

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संजीवनी बना 'मनरेगा'

राजसमंद. लॉकडाउन की वजह से कामगार मजदूर वर्ग के लोगों को अपने काम धंधे से हाथ धोना पड़ा है. जिसके परिणाम स्वरुप अनेक श्रमिकों के घरों में चूल्हे जलने के लिए पैसे तक नहीं बचे. ऐसे में राजस्थान राज्य में श्रमिकों के लिए मनरेगा संजीवनी बनकर उभरा.

राजस्थान के राजसमंद जिले को देखा जाए तो वर्तमान दौर में मनरेगा 91 हजार 604 जरूरतमंद लोगों की आजीविका का साधन बन रहा है. अचंभित करने वाली बात यह है कि इनमें अधिकांश महिलाएं है, जो सिर्फ आत्मनिर्भर ही नहीं बनी बल्कि अपने परिवार का पालन पोषण भी इसी के माध्यम से कर रही है.

संजीवनी बना 'मनरेगा'

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जिला कलेक्टर अरविंद कुमार पोसवाल ने बताया कि गत वर्ष मई में कुल 55 हजार 934 श्रमिक कार्यरत थे. इस महामारी से उत्पन्न हुई समस्या के कारण हजारों प्रवासी श्रमिक और अन्य संगठनों में काम करने वाले लोगों ने अब मनरेगा में हाथ आजमाया है.

पिछले वर्ष की तुलना में बढ़े श्रमिक

आमेट- पहले - 6752, अब 8,144

कुंभलगढ़-पहले 7,420, अब 12,676

खमनोर- पहले 7,993, अब 13910

देवगढ़- पहले 7293, अब 11940

अबभीम- पहले 14757, अब 25,440

रेलमगरा- पहले 5876, अब 8,071

राजसमंद- पहले 5834, अब 11423

कोविड-19 के कारण जिले के सभी उद्योग धंधे धीरे-धीरे चौपट होने से हजारों प्रवासियों समेत स्थानीय मजदूरों के पेट का सहारा मनरेगा स्कीम ही बनी. गौरतलब है, जिले में मार्बल उद्योग काफी पैमाने पर फैला हुआ है. वह भी चौपट हुआ, तो उससे जुड़े लोगों ने मनरेगा से जुड़कर अपने परिवार का पालन पोषण करना शुरू किया है. जिले में मनरेगा लोगों की अजीविका का साधन बन रहा है.

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विकास अधिकारी भुवनेश्वर सिंह का कहना है कि जिला कलेक्टर के निर्देश में यह मुहिम चलाकर नरेगा श्रमिकों के जॉब कार्ड बनाए गए हैं. वहीं जिसे काम की जरूरत है, उसे रोजगार के लिए नरेगा से जोड़ा गया है. नरेगा के तहत श्रमिकों से व्यक्तिगत निर्माण, नाड़ी निर्माण सहित कई काम कराए जा रहे हैं.

वहीं कोरोना के फैलाव को देखते हुए श्रमिकों का ख्याल भी रखा जा रहा है. ताकि वे कोरोना का शिकार न हों. इसके लिए बाकायदा सोशल डिस्टेंसिंग आदि नियमों का पालन किया जा रहा है. वहीं पीने के पानी के लिए मटके का उपयोग ना कर सभी को अपनी अपनी पानी की बोतल कार्यस्थल पर लाने की हिदायत दी गई है. साथ ही श्रमिकों को मास्क लगाने और अन्य जरूरी एतिहाद की जानकारी भी दी गई है. वहीं मनरेगा के आंकड़ों में भी लगातार इजाफा हो रहा है.

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