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बंदूकों की सलामी और ठाकुर जी के जयकारों से गूंजेगा द्वारिकाधीश मंदिर

राजसमंद के द्वारिकाधीश मंदिर में विशेष तैयारी की जा रही हैं. मंदिर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी ने ईटीवी भारत से मंदिर की अनोखी परंपराओं को जिक्र किया है.

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Published : Aug 23, 2019, 3:29 PM IST

राजसमंद.सभी कृष्ण में एक अनोखी रौनक है. ऐसा इसलिए के अब नंद के घर आनंद होने के कुछ घंटों का समय शेष रह गया है. ऐसे में राजसमंद 400 साल पुराने द्वारिकाधीश मंदिर में बाल गोपाल के आने की तैयारी देखते ही बनती है.

ठाकुर जी के जयकारों से गूंजेगा द्वारिकाधीश मंदिर

श्रीकृष्ण जन्मअष्टमी को लेकर द्वारिकाधीश मंदिर में विशेष तैयारियां की जा रही हैं. इस अवसर आस्था के प्रतीक पुष्टिमार्गी मंदिर में श्रद्धालुओं की व्यवस्था को लेकर विशेष प्रबंध किए गए हैं. द्वारिकाधीश मंदिर में तैयारियों को लेकर ईटीवी भारत ने मंदिर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी विनीत सनाढ्य से बात की है. उन्होंने बताया कि मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर तैयारियां परी हो चुकी हैं. पूरे मंदिर को सजया गया है. पुष्टि मार्गीय मंदिर की इस तृतीय पीठ में श्रद्धालु कोने- कोन से आ रहे हैं.

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द्वारिकाधीश मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम-
मंदिर मंडल के जनसंपर्क अधिकारी विनीत ने बताया कि यहां कल यानी 24 अगस्त को प्रात: मंगला के दर्शन और विशेष पंचानन के दर्शन कराए जाएंगे. द्वारिकाधीश को दूध, दही, घी, शहद और जल से स्नान कराया जाएगा. ठाकुर जी का यह विशेष स्नान वर्ष में मात्र दो रामनवमी और जन्माष्टमी के अवसर पर होता है.

द्वारिकाधीश मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन का समय
रात्रि 9 बजे प्रभू के जागरण के दर्शन खुलेंगे जो रात्रि 11.30 चलेगा. उसके बाद ग्रहों की गणना और स्थिति के प्रभू के जन्म का समय निर्धारित करेंगे. जैसे ही प्रभू का जन्म होगा द्वारिकेश मंदिर के गार्ड वे बंदूकों की सलामी के साथ प्रभू के नाम से उद्घोष से गूंज उठेगा. इसके बाद प्रभू को रात्रि ढाई बजे से प्रभू को महाभोग लगाया जाएगा. अगले दिन यानि 25 अगस्त को प्रात: 10 बजकर 30 मिनट पर नंद महोत्सव का दर्शन होगा. इस दौरान प्रभू को सोने के पलने में झुलाया जाएगा.

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जनसंपर्क अधिकारी विनीत ने कार्यक्रम की परंपराओं का जिक्र करते हुए कहा कि जन्माष्टम के अवसर पर गोश्वामी परिवार के सदस्य यशोदा मैया बनते हैं. परिवार के मुखिया नंद बाबा के भूमिका में होते हैं. इस दौरान शहर में उल्लास का माहौल होता है. द्वारिका मंदिर में ग्वाल बालों को दही दूध की होली खेली जाती है. मटकीफोड़ का आयोजन होता है.

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