देवगढ़ (राजसमंद). जिले में हुए पंचायती राज चुनाव में जिला परिषद वार्ड 23 से सीता देवी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप अपना नामांकन पत्र भरा गया था. लेकिन, तीन संतान के नियम के चलते सीता देवी का नामांकन पत्र को रिजेक्ट कर दिया गया था. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया. इस मामले को लेकर अयोग्य प्रत्याशी सीता देवी न्यायालय की शरण में गई. जहां भीम न्यायालय ने राजसमंद जिला परिषद सदस्य तारा देवी निवासी कुकड़ा, घाटा (अजीतगढ़) आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमित्रा देवी, भीम विकास अधिकारी डॉ. रमेश चंद्र मीणा, भीम ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रभु दयाल नागर और राजसमंद जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल के विरुद्ध पुलिस थाना भीम को जांच का आदेश दिया है.
हस्तगत प्रकरण में सभी ने मिलकर षडयंत्र पूर्वक भाजपा प्रत्याशी वार्ड संख्या 23 जिला परिषद सदस्य सीता देवी का कूट रचना, गलत दस्तावेज तैयार करके नामांकन निरस्त करवा दिया. इससे आहत होकर सीता देवी ने न्यायालय में परिवाद पेश कर बताया कि इन सभी ने मिलीभगत करके आंगनबाड़ी के रजिस्टर में सीता देवी के तीसरी संतान होना गलत अंकन करके विकास अधिकारी डॉ. रमेश चंद्र मीणा ने प्रमाणित करके उक्त दस्तावेज को रिटर्निंग ऑफिसर और राजसमंद जिला कलेक्टर ने नामांकन निरस्त कर दिया.
न्यायालय में प्रस्तुत दस्तावेज में सीता देवी ने बताया कि रिटर्निंग अधिकारी ने 21 नवंबर 2002 को आंगनबाड़ी रजिस्टर में सीता देवी को गर्भवती बताते हुए एक माह के भीतर ही 21 दिसंबर 2002 को तीसरी संतान का जन्म होना दर्शाया गया है. इसी तरह इसी संतान को 2001 की सर्वे रजिस्टर में तीसरी संतान के रूप में बताकर उम्र भी डेढ़ वर्ष अंकित कर रखी है. जिस पर न्यायालय के बयानों और दस्तावेजों का अवलोकन करने के पश्चात पुलिस थाना को जांच के आदेश दिए हैं.