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भाजपा के नक्शे कदम पर कांग्रेस...क्या बन पाएगी 'पार्टी विद द डिफरेंस' ? - rajasthan byelection

भारतीय जनता पार्टी आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है. अपनी रीति-नीति और क्रियाकलापों के दम पर भाजपा ने यह तमगा हासिल किया है. ऐसे में राजसमंद उपचुनाव से पहले कांग्रेस भी बीजेपी के मॉडल को फॉलो कर रही है. हालांकि, इसमें आशातीत सफलता नहीं मिल पाई है.

congress following the bjp model
कांग्रेस की रणनीति

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Published : Mar 29, 2021, 12:39 PM IST

राजसमंद. 'पार्टी विद द डिफरेंस' का नारा देने वाली भारतीय जनता पार्टी अपनी रीति-नीति और कार्यक्रमों के दम पर आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है. ऐसे में भाजपा के मॉडल को धीरे-धीरे कई अन्य दल भी अब आत्मसात करने लगे हैं. भाजपा के सम्मेलन मॉडल, बूथ मॉडल को अब धीरे धीरे कांग्रेस भी अपनाने लगी है.

BJP मॉडल को फॉलो कर रही कांग्रेस...

राजसमंद उपचुनाव में पिछले करीब 18 साल का सूखा खत्म करने के लिए कांग्रेस ने अब बीजेपी के मॉडल पर अमल करना शुरू कर दिया है. भाजपा को भाजपा की नीतियों से ही टक्कर देने के लिए कांग्रेस भी उसी रणनीति पर काम कर रही है. हालांकि, इस मॉडल को पूरी तरह से आत्मसात करने में कांग्रेस अभी तक सफल नहीं हो पाई है. बात दोनों दलों के विभिन्न मोर्चा और प्रकोष्ठ के सम्मेलन की करें तो इस मामले में भाजपा, कांग्रेस से 21 ही नजर आ रही है.

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बीजेपी के सम्मेलन...

  • 14 फरवरी - विशेष संपर्क अभियान
  • 19 फरवरी - ओबीसी सम्मेलन
  • 21 फरवरी - किसान सम्मेलन
  • 27 फरवरी - युवा सम्मेलन
  • 28 फरवरी - प्रबुद्ध जन सम्मेलन
  • 1 मार्च - महिला सम्मेलन
  • 4 मार्च - sc-st सम्मेलन
  • 6 मार्च - भाजपा आईटी मोर्चा सम्मेलन

कांग्रेस के सम्मेलन...

  • 9 फरवरी - चुनाव प्रचार का चारभुजा से आगाज
  • 10 फरवरी - पंचायत स्तर की बैठक शुरू
  • 17 फरवरी - राजसमंद विकास संवाद कार्यक्रम
  • 14 मार्च - कांग्रेस ओबीसी सम्मेलन
  • 22-23 मार्च - यूथ कांग्रेस सम्मेलन
  • करीब 1 माह से बूथ स्तर पर बैठकों का दौर जारी

कांग्रेस में एससी-एसटी, महिला और एनएसयूआई का सम्मेलन नहीं हुआ. ऐसे में सम्मेलनों के मामले में कांग्रेस भले ही बीजेपी मॉडल को अपना रही हो, लेकिन वह इसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई. हालांकि, कांग्रेस ने बीजेपी की तर्ज पर बूथ स्तर पर टीमों का गठन कर लिया है. बूथ स्तर पर दोनों ही दलों ने कार्यकर्ताओं की नियुक्ति के साथ ही लगातार बैठकों की प्रक्रिया को जारी रखा है. अब देखना यह होगा कि इस मॉडल के किसने अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं.

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