राजसमंदःलोकतंत्र में जनता ही माई बाप होती है. जनता चुनती है तो सिर आंखों पर चढ़ा देती है और जनता अगर नहीं अपनाती है तो जमीन दिखा देती है. राजसमंद सीट से 4 बार कांग्रेस की हार क्या हुई आला नेताओं में भी अब हार की कसक साफ जाहिर होने लगी है, चाहे वह मुख्यमंत्री हों या चाहे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और चाहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष या छोटे नेता.
राजसमंद विधानसभा उपचुनाव के रण में प्रचार के लिए आए कांग्रेस के आला नेताओं के जुबानी लफ्जों में पिछले चार बार की हार का दर्द साफ झलक रहा है. यहां नेता मतदाताओं से वोट की मनुहार कम, गुहार करते ज्यादा नजर आ रहे हैं. राजसमंद में प्रचार के दौरान कांग्रेस के नेता बार-बार एक ही दुहाई देते नजर आ रहे हैं कि सिर्फ ढाई साल के लिए कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बना दें, अगर आप की अपेक्षा पर प्रत्याशी खरा ना उतरे, तो ढाई साल बाद फिर से विरोध में बटन दबा देना. पिछले दिनों कांग्रेस प्रत्याशी तनसुख बोहरा के नामांकन सभा में आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी बार-बार जनता से मनुहार करते रहे कि सिर्फ 1 साल के लिए एक बार कांग्रेस प्रत्याशी को विजयी बना दें.