कुंभलगढ़ (राजसमंद).राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में अभी दो साल बाकी है. लेकिन चुनावी जमीन भाजपा के लिए कितनी मुफीद है या किस तरह की समस्याएं इस राह में हैं इन पर भाजपा ने मंथन शुरू कर दिया है. राजसमंद के कुंभलगढ़ में जुटे पार्टी नेता हर पहलू पर मंथन करते हुए 2023 को फतह करने की रणनीति बनाने में जुटे हैं.
भाजपा के इस दो दिवसीय चिंतन बैठक में पार्टी की स्थिति के साथ ही सामने की चुनौतियों पर फोकस रखा जा रहा है. दो दिवसीय इस मंथन का सार क्या निकलकर आता है ये अभी बाकी है लेकिन राजनीतिक पंडितों ने अभी से कयास लगाना शुरू कर दिया है.
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हालांकि इस बार सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की है कि भाजपा की दो दिवसीय चिंतन बैठक मेवाड़ के कुंभलगढ़ में क्यों रखी गई. इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं. वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जन्मस्थली कुंभलगढ़ में भाजपा राजस्थान को फतह करने की योजना बना रही है, लेकिन मेवाड़ में एक राजनीतिक पुरानी कहावत है, जिसने मेवाड़ को फतह किया उसने राजस्थान में राज किया. इसलिए भाजपा इस बार अपना केंद्र बिंदु मेवाड़ को बनाना चाहती है.
भाजपा नेता विधानसभा चुनाव 2023 को फतह करने की रणनीति बनाने में जुटे आगामी दिनों में वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होने वाले हैं. वहीं वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप को लेकर जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का विवाद हो, या फिर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की ओर से महाराणा प्रताप की तस्वीर नीचे रखने का मामला हो इन सभी घटनाक्रमों ने विवाद खड़े किए थे. जिससे भाजपा की छवि पर कई सवाल उठे थे.
हालांकि इन विवादों के बाद पुरजोर तरीके से विरोध हुआ था. ऐसे में एक सियासी संदेश भी भाजपा देना चाहती है कि वह प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप को पूजनीय मानती है. यही वजह है कि भाजपा की दो दिवसीय चिंतन बैठक शुरू होने से पहले अजय दुर्ग कुंभलगढ़ परिसर में महाराणा प्रताप के जन्म कक्ष में राष्ट्रीय और प्रदेश स्तरीय नेताओं ने नमन किया. इसके बाद चिंतन शिविर में भाग लेने के लिए पहुंचे.
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इस दो दिवसीय चिंतन शिविर में अलग-अलग बिंदुओं पर मंथन हो रहा है. जिसमें आगामी दिनों में राजस्थान की वर्तमान गहलोत सरकार का किस तरह से घेरने का काम किया जाए. राजस्थान में भाजपा को जमीनी स्तर पर और किस तरह से मजबूत किया जा सके इसे लेकर भी मंथन जारी है.