राजसमंद. ऐतिहासिक राजसमंद झील में पानी लाने की योजना अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाई है. हर चुनाव के समय भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के नेताओं द्वारा राजसमंद झील को लबालब भरने का वादा जनता से किया जाता है, लेकिन वह वादा धरातल तक नहीं उतर पाया. आपको बता दें कि भाजपा तथा कांग्रेस दोनों ही पार्टियों की सरकारों ने इस झील को भरने के लिए सिर्फ योजनाएं ही बनाई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2013 की सरकार में माही से राजसमंद झील में पानी लाने के लिए 4 करोड़ 56 लाख की योजना बनाने की बात कही थी, लेकिन इसके बाद भाजपा की सरकार ने आते ही कांग्रेस सरकार की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
वहीं भाजपा सरकार ने भी वर्ष 2018 के अपने अंतिम बजट में झील में देवास से पानी लाने की योजना को साकार करने का सपना दिखाया था, लेकिन यह भी धरातल तक नहीं उतर पाया. वहीं एक बार फिर सरकार बदलने से कांग्रेस की सरकार ने भाजपा सरकार की झील को भरने की योजना को सिरे से नकार दिया है. वहीं राजसमंद झील संरक्षण अभियान के समन्वयक दिनेश श्रीमाली का कहना है कि झील के निर्माण को 342 साल पूरे होने जा रहे हैं. इस झील का केचमेंट एरिया बहुत छोटा है.
केचमेंट के आधार पर यह पौने चार हजार एमसीएफटी पानी के भराव क्षमता वाली झील है. इस झील का औसत बारिश में पूरा भरा जाना असंभव सा है. उनका कहना रहा कि मेवाड़ में राजसमंद जिला पहला उदाहरण है. जहां पर बनास नदी को लाकर गोमती नदी से जोड़ा गया. इसके लिंकिंग के लिए खारी फिल्टर का निर्माण किया गया. जो 1962 में शुरू हुआ और 1968 में खारी फिल्टर तैयार हो गया. उसके बाद हम देखें कि बनास नदी के माध्यम से जनरल लिंक बनाया गया. खारी फिल्टर को उसके माध्यम से कई वर्षों तक इस झील में पानी आता रहा. अब इस झील को माही से पानी लाने की योजना सबसे अधिक फायदेमंद हो सकती है.