राजसमंद. मरहम लगा सको तो किसी गरीब के जख्मों पर लगा देना, हकीम बहुत है बाजार में अमीरों की इलाज के खातिर. दरअसल, देश कोरोना वायरस महामारी के कहर तले दबा है. फिर भी आज अमीरी और गरीबी के बीच अंतर साफ दिखाई दे रहा है. कोरोना महामारी ने भी एक बार पुनः साबित कर दिया है, कि देश में समस्या कोई भी आए उसकी मार गरीब इंसान ही झेलता है.
लॉकडाउन के कारण थम गए ऑटो के पहिए बता दें, कि कोरोना भले एक वैश्विक महामारी बन चुका है और हम सभी जानते हैं, कि इसकी शुरुआत चीन के वुहान से होते हुए यह संपूर्ण विश्व में फैल गया है. भारत को भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया है, लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि आज इससे सबसे ज्यादा पीड़ित उस तबके के लोग हैं जो रोज कुआं खोदकर पानी पीने की स्थिति में है. कुछ यही स्थिति राजसमंद जिले के ऑटो चालकों की भी है.
2000 ऑटो चालक के थमे पहिए...
दरअसल, लॉकडाउन का तीसरा फेस चल रहा है. लॉकडाउन की वजह से ऑटो चालकों की आवाजाही पर भी प्रतिबंध लगाया गया था. ऑटो चालक लक्ष्मण का कहना है, कि पिछले 2 महीने से घर में बैठे हुए हैं. आय का स्रोत ऑटो था, जिससे वह हर रोज व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान पर छोड़कर जो आमदनी निकाल लेते थे. लेकिन सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन के बाद अब वह घर पर ही बैठे हैं. इस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति डगमगाने लगी है. राजसमंद जिले भर में करीब 2000 से अधिक ऑटो हैं. जिसमें ज्यादातर राजसमंद और नाथद्वारा में है, बाकी इनके अलावा जिलेभर में हैं.
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वहीं, ऑटो चालक मोहन ने बताया कि सरकार को आगे आकर हम ऑटो चालकों की मदद करनी चाहिए. क्योंकि इस भीषण त्रासदी में हमें परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, कि अब तक किसी भी सरकार के प्रतिनिधियों ने हमारी मदद के लिए आगे नहीं आए.
लॉकडाउन होने के बाद उनका व्यवसाय भी पूरी तरह से बंद पड़ा हुआ है. केंद्र सरकार ने हाल ही में दो हजार लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. अब देखना होगा कि केंद्र और राज्य सरकार कितनी मदद कर पाती है.