राजसमंद.प्रदेश की राजनीति में मेवाड़ संभाग की भूमिका दिलचस्प रही है. मेवाड़ में कई ऐसे नेताओं का जन्म हुआ है, जिन्होंने भारत की राजनीति के पटल पर अपने नाम के साथ मेवाड़ के नाम को सुनहरे अक्षरों में गढ़ने का काम किया है. जिसमें से एक भाजपा के कद्दावर जन नेत्री और मेवाड़ की प्यारी दीदी किरण माहेश्वरी हैं, जिनका निधन रविवार को देर रात मेदांता अस्पताल में हुआ.
अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी किरण माहेश्वरी की प्रशंसा शुरू से ही किरण माहेश्वरी सामाजिक और राजनीतिक कार्यों में बढ़ चढ़कर भूमिका निभाने में अग्रणी रहीं. 1990 के दशक में उनको पार्टी ने जिम्मेदारी देते हुए महासचिव उदयपुर जिला भाजपा महिला मोर्चा की जिम्मेदारी सौंपी. जिसे उन्होंने बखूबी से निभाते हुए अपना काम कार्यकर्ताओं और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच पहुंचाया. कुछ दिनों बाद 1992 में एकता यात्रा में शामिल हुई. साल 1994 में उदयपुर नगर परिषद की पहली महिला सभापति बनकर आसीन हुई. 2004 में प्रदेश महासचिव बनी. वहीं, 2004 से 2008 सांसद उदयपुर रहीं. 2008 से राजसमंद विधानसभा क्षेत्र से लगातार विधायक के रूप में नेतृत्व कर रही थीं.
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जब भाजपा में कई कद्दावर नेता अपनी राजनीति चमकाने में लगातार सक्रियता बनाए हुए थे. उस दौर में किरण माहेश्वरी ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत विचित्र चुनौतियों के बीच की. राजसमंद के वरिष्ठ पत्रकार रमेश आचार्य ने बताया कि किरण माहेश्वरी का निधन होना अपने आप में बहुत बड़ी क्षति है. मेवाड़ संभाग में भाजपा के कई नेता हुए हैं, लेकिन किरण माहेश्वरी ने लगातार अपने काम के बल पर और जनता के बीच में सक्रियता के कारण वह लगातार आगे बढ़ती रहीं. खास करके भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से सीधा संपर्क और उनकी काम की शैली से प्रभावित होकर कई नेताओं ने उनका सहयोग किया.
आचार्य बताते हैं कि 2004 के चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व उदयपुर व राजसमंद संसदीय क्षेत्र से किरण माहेश्वरी को पार्टी प्रत्याशी तौर पर उम्मीदवार बनाया. माहेश्वरी के सामने कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास को मैदान में उतारा, लेकिन किरण माहेश्वरी की सक्रियता और सरल व्यक्तित्व के कारण वो चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचीं. आचार्य ने कहा कि इस चुनाव प्रचार में राजसमंद पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने माहेश्वरी की कार्यशैली से प्रभावित होकर कहा कि इन्हें दिल्ली की राजनीति में होना चाहिए, क्योंकि इनके अंदर कौशल और दायित्व को निभाने का हुनर है.
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रमेश आचार्य कहते हैं कि जब उदयपुर संभाग में भाजपा के कद्दावर नेता गुलाब चंद कटारिया फ्रंट फुट राजनीति कर रहे थे. इसके बावजूद भी किरण माहेश्वरी ने अपनी सक्रियता लगातार बनाए रखी. इसी की बदौलत है कि आज भारत के शीर्ष राजनेताओं में उनका नाम है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. कुंजन आचार्य ने कहा कि किरण माहेश्वरी मेवाड़ की राजनीति का एक ऐसा नाम था, जिन्होंने उदयपुर से निकलकर लोकतंत्र की व्यवस्थाओं के साथ अपना परचम लहराया और एक जन नेता के रूप में अपनी पहचान कायम की. उन्होंने कहा कि पार्षद के चुनाव में उन्होंने बेहतरीन जीत दर्ज की थी. पहली बार प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों को संभालने के बावजूद लगातार जनता से सीधा संवाद रहा.
वहीं, पत्रकार सुरेश भाट ने बताया कि किरण जी का राजसमंद से विशेष लगाव था. जनता अपने कामों को लेकर उनसे सीधा संवाद करती थी. उन्होंने बताया कि मेवाड़ में कई प्रतिस्पर्धा भाजपा में नेता थे, लेकिन इसके बावजूद भी किरण माहेश्वरी के दबदबे के सामने और उनके काम की छाप की वजह से कोई भी भाजपा नेता किरण माहेश्वरी को रोक पाने में सफल साबित नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि राजसमंद क्षेत्र में भाजपा को अभेद किले के रूप में किरण माहेश्वरी ने स्थापित किया. यही वजह है कि बीते तीन विधानसभा चुनाव में पार्टी ने यहां से बेहतरीन जीत दर्ज की है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को अब मंथन करने की जरूरत है, क्योंकि पार्टी ने एक जनप्रिय नेता को खो दिया है. इसकी भरपाई कर पाना बड़ा ही मुश्किल रहेगा.