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राजसमंद: श्रीनाथजी मंदिर में आषाढ़ी तौल, अनाज के बढ़ने और वर्षा सामान्य रहने का अनुमान

राजसमंद में नाथद्वारा में प्रतिवर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर के ‘खर्च भण्डार’ में पैदावार व व्यापार को लेकर पूर्वानुमान लगाया जाता है, जिसे ‘आषाढ़ी तौलना’ कहते हैं. जिसमें आने वाले समय में कितनी व्यापार व खेती में कितना लाभ होगा इसका अनुमान लगाया जाता है.

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श्रीनाथजी मंदिर में हुआ आषाढ़ी तौल

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Published : Jul 6, 2020, 7:31 PM IST

राजसमंद.जिले के श्रीनाथजी मंदिर हर साल आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ श्रीनाथजी मंदिर के ‘खर्च भण्डार’ में प्राचीन परंपरानुसार विभिन्न धान्यादी भौतिक वस्तुओं के तौल से आगामी वर्ष में पैदावार व व्यापार के लिए पूर्वानुमान लगाया जाता है जिसे ‘आषाढ़ी तौलना’ कहते हैं.

वहीं रविवार को पूर्णिमा पर तौल कर रखे धान आदि वस्तुओं को दूसरे दिन की सुबह ग्वाल के दर्शनों के बाद दोबारा श्रीनाथजी के मुख्य पंड्या की देख-रेख में खर्च भंडार के भंडारी फतेहलाल गुर्जर, मुनीम दिनेश पुरोहित व कर्मचारी आदि की उपस्थिति में तौला गया. जिसके आधार पर इस वर्ष धान की पैदावार उत्तम बताई गई तो वर्षा को सामान्य बताया गया, वहीं भाद्रपद में पांच आना, आसोज में तीन आना और वायु दक्षिण-पश्चिम दिशा में होगी.

वहीं मनुष्य में पोण रत्ती और पशुधन में पाव रत्ती, गुड़ में आधा रत्ती, व घास में एक रत्ती की घटोतरी होगी. जानकारी के मुताबिक परंपरानुसार श्रीनाथजी मंदिर में हर साल छोटे-बड़े विभिन्न पात्रों में भर कर मूंग हरा, मक्की, बाजरा, ज्वार, साल, चमला, तिल्ली, उड़द, मोठ, ग्वार, कपास्या, जव , गेहूं, चना, सरसों, गुड, नमक, काली मिट्टी, लाल मिट्टी व घास आदि 27 भौतिक सामग्रियों को श्रीजी के मुख्य पंड्या व खर्च भंडारी की देखरेख में तौल कर खर्च भण्डार के एक कोठे में रख दिया जाता हैं.

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वहीं अगले दिन श्रावण कृष्ण प्रतिपदा के दिन उन सभी पात्रों में रखी वस्तुओं को दोबारा श्रीजी के मुख्य पंड्या के सानिध्य में तौला जाता है. उसके बाद इन में हुई वृद्धि व कमी के आधार पर आने वाले वर्ष में फसलों, धन-धान्य, पशुओं के चारे, आपदाएं, वर्षा की मात्रा और वायु के रूख का अनुमान लगाया जाता है, जो कि कई हद तक आने वाले समय का सटीक फलित करता है. वहीं आसपास के गावों के ग्रामीण इस आधार पर आगामी वर्ष में फसलों की बुवाई की योजना बनाते हैं. वहीं कई अनाज के व्यापारी अपने व्यापार में स्टॉक की योजना भी इसी आधार पर बनाते हैं.

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