प्रतापगढ़.जिले में बुधवार को भैरव अष्टमी पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जा रहे हैं. इस दौरान भैरव मंदिरों पर आकर्षक सजावट और छप्पन भोग का भी आयोजन किया गया है. शहर के कृषि मंडी के पीछे स्थित काल भैरव मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है.
काल भैरव अष्टमी पर विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान आयोजित जहां मंदिरों पर करमदिया राजकुमार मित्र मंडल की ओर से छप्पन भोग का आयोजन किया गया है. मंडल की ओर से काल भैरव की पूजा-अर्चना के साथ ही महाआरती भी की गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. छप्पन भोग की झांकी को निहारने के लिए यहां पर अन्य शहरों से भी भक्तों का आगमन होता है.
कोविड-19 गाइडलाइन की पालन करते हुए प्रसादी का भी इस दौरान वितरण किया गया है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव जयंती मनाई जाती है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि इस दिन उनका जन्म हुआ था. काल भैरव को शिवजी का अवतार माना जाता है, जो इनका विधिवत पूजन करता है. उसे सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है. उन्हें तंत्र का देवता माना जाता है. इसके चलते भूत, प्रेत और उपरी बाधा जैसी समस्या के लिए काल भैरव का पूजन किया जाता है.
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इस दिन काले कुत्ते को दूध पिलाने से काल भैरव का आर्शीवाद प्राप्त होता है. काल भैरव को दंड देने वाला देवता भी कहा जाता है, इसलिए उनका हथियार दंड है. इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से भी उनकी विशेष कृषा प्राप्त होती है. उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति चौकी पर गंगाजल छिड़ककर स्थापित करे. इसके बाद काल भैरव को काले, तिल, उड़द और सरसो का तेल अर्पित करे. अंत में श्वान का पूजन भी किया जाता है. इस दिन लोग व्रत रखकर भजनों के जरिए उनकी महिमा भी गाते है. भैरव अष्टमी पर भेरूजी की पूजा आराधना के बाद माता के दर्शन की भी मान्यता है.