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प्रतापगढ़: 3 दिन पहले हुई हत्या के मामले में आदिवासियों का फूटा गुस्सा, सड़क पर लगाया जाम

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Published : Dec 19, 2020, 3:05 PM IST

प्रतापगढ़ में 3 दिन पहले आदिवासी किसान शांति लाल मीणा की हत्या के मामले में हजारों आदिवासियों ने सड़कों पर जाम लगाया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने गांव समेत मुख्य सड़कों को भी जाम करना शुरू कर दिया है. वहीं, 5 जिलों की पुलिस के आला अधिकारी समझाइश में जुटे हैं.

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प्रतापगढ़ में आदिवासियों ने सड़कों पर लगाया जाम

प्रतापगढ़. जिले के धरियावद से 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सारंगियाफला के नाड़ गांव में आदिवासी किसान शांति लाल मीणा की हत्या के मामले में लगातार तीसरे दिन प्रदर्शनकारियों और प्रशासन के बीच मांगों को लेकर सहमति नहीं बन पाई. हालात यह हो गए कि अब इन प्रदर्शन करने वाले लोगों के साथ उदयपुर और बांसवाड़ा के आदिवासी समाज के लोग भी पहुंचने लगे हैं।. प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रतापगढ़ के अलावा उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा से भी पुलिस का अतिरिक्त जाब्ता मंगवाया गया. वर्तमान में यहां पर करीब 1500 से 1800 के बीच पुलिसकर्मी और सुरक्षाकर्मी तैनात हैं.

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दिन भर दोनों पक्षों के बीच वार्ता का दौर चलता रहा, लेकिन सहमति नहीं बन पाई. मूंगाणा का पूरा क्षेत्र और बाजार शुक्रवार को भी पूरी तरह से बंद रहा. हालांकि सभी जगह पर शांति व्यवस्था बरकरार रही. किसी भी तरह की कोई हिंसक घटना सामने नहीं आई. प्रदर्शनकारियों ने यहां धरियावद-बांसवाड़ा रोड पर अस्थाई रूप से टेंट लगाकर चाय पानी सहित भोजन की व्यवस्था की और यहीं पर डेरा डाल दिया है.

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अलग-अलग टुकड़ों में करीब 2 किलोमीटर तक प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क को जाम कर रखा है. इसके अलावा यहां जुड़ने वाली अन्य ग्रामीण सड़कों को भी रोक दिया गया है. एहतियातन पुलिस ने भी अलग-अलग टुकड़ियों में दिनभर सुरक्षा व्यवस्था को संभाले रखा. एसपी चुनाराम जाट, एएसपी अशोक कुमार मीणा सहित 5 वृताधिकारी और 20 से ज्यादा थानेदार दिन भर क्षेत्र में मौजूद रहे. बड़ी संख्या में प्रशासनिक अमला भी प्रदर्शनकारियों से समझाइश करने के लिए प्रयास करता रहा.

प्रशासन का करते रहे इंतजार, शव अभी भी उदयपुर में ही
परिजन और आदिवासी समुदाय के लोग शुक्रवार सुबह से प्रशासन के आने का इंतजार करते करते रहे, लेकिन प्रशासन की तरफ से तहसीलदार संजय चरपोटा शाम पांच बजे पहुंचे, इसको लेकर प्रदर्शनकारियों ने नाराजगी जताई, शाम करीब 6 बजे तक अंतिम दौर की वार्ता भी हुई लेकिन इसका भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका, मूंगाणा से नाड़, पारसोला से नाड़, धरियावद से नाड़ आने वाले सभी रास्ते पर पुलिस और प्रदर्शनकारी दोनों ही जमे हुए हैं, पुलिस की ओर से आस-पास के पूरे क्षेत्र की ड्रोन से निगरानी की जा रही है, शान्तिलाल का शव अभी भी उदयपुर से उसके गांव नहीं लाया गया है.
यह रखी हैं मांगें, जिन पर अभी तक नहीं बनी सहमति
पीड़ित परिवार की तरफ से जिला प्रशासन को सौंपे गए मांग पत्र के अनुसार मृतक शांतिलाल मीणा के परिवार में से किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी, परिजनों को आर्थिक सहायता और विवादित जमीन शांतिलाल के परिवार के नाम करने, मूंगाणा पुलिस चौकी और पारसोला थाने के पूरे स्टाफ को बदलने की मांग की गई है. इसके अलावा सभी अभियुक्तों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग भी शामिल है. इसमें कलेक्टर अनुपमा जोरवाल ने गुरुवार को स्थिति साफ की थी कि सरकारी नौकरी के लिए जहां सरकार को लिखित में पत्र भेज दिया गया है, वहीं समाज कल्याण विभाग की तरफ से 8 लाख से ज्यादा रुपए की आर्थिक सहायता का भी आश्वासन दिया है.

विवादित जमीन को लेकर कलेक्टर ने कहा कि नियमानुसार जमीन जिसके नाम होगी, उसके नाम रखी जाएगी. इस पर शुक्रवार को भी प्रदर्शनकारियों और जिला प्रशासन के बीच सहमति नहीं बन पाई. प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे. प्रदर्शनकारियों से वार्ता करने गए धरियावद के तहसीलदार संजय चरपोटा ने बताया कि नियमानुसार जो मांगे वाजिब हैं, उन पर कार्रवाई की जा रही है.

जमीन विवाद में हुई थी मारपीट
पारसोला थाना क्षेत्र अंतर्गत नाड़ निवासी शांतिलाल मीणा और नंदलाल लबाना के बीच लंबे समय से जमीन विवाद चल रहा था. मंगलवार रात को इसी जमीन विवाद में कहासुनी के बाद अभियुक्त नंदलाल लबाना ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर शांतिलाल और उसके परिवार पर तलवारों से जानलेवा हमला कर दिया. इसमें शांतिलाल गंभीर घायल हो गया और उसके छोटे भाई को भी तलवार से चोटें आई. हमले के बाद सभी घायलों को बांसवाड़ा अस्पताल ले जाया गया. यहां से गंभीर घायल शांतिलाल को उदयपुर रेफर कर दिया गया. गुरुवार तड़के 3 बजे उपचार के दौरान उदयपुर अस्पताल में ही शांतिलाल ने दम तोड़ दिया. इसके बाद मामला बिगड़ता चला गया और शांतिलाल को न्याय दिलाने के लिए आदिवासी समाज ने नाड़ की तरफ कूच किया. गुरुवार सुबह 7 बजे से गांव में पहुंचे. प्रदर्शनकारियों ने गांव की सड़कों सहित मुख्य सड़कों को भी जाम करना शुरू कर दिया. विभिन्न जगहों पर चक्के जाम कर दिए गए और सारे कामकाज ठप हो गए.

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