प्रतापगढ़. जिले में अफीम की खेती किसानों के लिए वरदान मानी जाती है. काले सोने के नाम से मिलने वाली अफीम की फसल से किसानों को काफी आर्थिक लाभ होता है. सरकार की ओर से इस बार जिले में लगभग 7000 किसानों को अफीम खेती के लिए लाइसेंस दिए गए हैं.
अफीम की खेती की सुरक्षा को लेकर किसान चिंतित... ग्रामीण इलाकों में खेतों में अब जगह-जगह अफीम की फसल के सफेद फूल दिखने लगे हैं. कुछ ही दिनों बाद इन पर डोडे लगने लगेंगे. किसानों ने इस अफीम फसल की सुरक्षा के लिए तरह-तरह के जतन करना शुरू कर दिए हैं. पशु पक्षियों और जानवरों से इस फसल को बचाने के लिए किसानों ने फसल वाली जमीन के चारों ओर फेंसिंग करने के साथ ऊपर से नेट से ढक दिया है, ताकि कोई भी पक्षी फसल को नुकसान नहीं पहुंचा सके.
पढ़ें:अफीम की खेती ने उड़ाई किसानों की नींद, सरिए रोप कर तो कोई जाल डालकर कर रहे रखवाली
इलाके में नीलगायों के आतंक से परेशान किसानों ने खेतों में अब रात को रखवाली करना भी शुरू कर दिया है. कई स्थानों पर किसानों ने चमकीली फर्रिया लगाकर सुरक्षा के उपाय किए हैं. पानमोड़ी गांव के किसान रमेश सेन ने बताया कि नील गायों और जानवरों के खतरे से अफीम फसल की सुरक्षा के लिए वह पटाखों से धमाके करते हैं. साथ ही, फसल की सुरक्षा के लिए चारों और तारबंदी भी की गई है. सेन ने बताया कि अफीम की फसल यदि अच्छी हो जाती है, तो काफी लाभदायक है. लेकिन, यदि फसल ठीक नहीं होती है, तो काफी नुकसान होता है. फिलहाल किसानों को अब डोड़े आने का इंतजार है.