प्रतापगढ़.वन विभाग की ओर से जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने के दिए जाने वाले तेंदूपत्ता के ठेके से आय में इस बार चार गुना तक बढ़ोतरी हुई है. जबकि गत दो वर्ष से लगातार कमी होती जा रही थी. इस बार बढ़ी तेंदुपत्ता की मांग के कारण ठेका भी 13 करोड़ 88 लाख रुपए का हुआ है. इससे कोरोना काल में स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.
विभागीय आंकड़ों के अनुसार गत दो वर्ष से आय कम हो रही थी. इसका कारण तेंदूपत्ता की मांग में कमी होना बताया गया है. ऐसे में वन विभाग की राजस्व आय में कमी हो रही है. गत दो वर्ष से तेंदूपत्ता का उठाव नहीं होने से यह असर हो रहा है. वहीं इस वर्ष तेंदुपत्ता की मांग है, जिससे ठेका राशि अधिक बोली गई है.
प्रदेश समेत अन्य राज्यों में गत तीन वर्ष में तोड़े गए तेंदूपत्ता का उठाव गत वर्ष हुआ. इस वर्ष वन विभाग की ओर से दिए गए तेंदूपत्ता तुड़ाई के ठेकों से आय अधिक है. प्रतापगढ़ जिले में वर्ष 2019-20 में हुए ठेके से 4 करोड़ 25 हजार रुपए की आय हुई थी. जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 3 करोड़ 17 लाख तक ही सिमट गया. वहीं 2021-22 में यह ठेका 13.88 रुपए का हुआ है.
प्रदेश का 40 प्रतिशत उत्पादन प्रतापगढ़ जिले से
प्रदेश में कुल उत्पादन होने वाले में से 40 प्रतिशत तेंदूपत्ता प्रतापगढ़ के जंगलों से होता है, जबकि 60 प्रतिशत उत्पादन प्रदेश के अन्य जंगलों में होता है. यहां के जंगलों में कई प्रजातियों के पेड़ पाए जाते हैं. इनमें तेंदू के पेड़ भी हैं. ऐसे में यहां तेंदूपत्ता का उत्पादन भी अधिक होता है.