प्रतापगढ़.शहर से करीब 10 किमी दूर अरनोद रोड पर स्थित खेरोट गांव में रावण को बंदूक से छलनी करने का रिवाज है. इसी कड़ी में मंगलवार को दशहरे मेले में हजारों की संख्या में लोग रावण को छलनी करने पहुंचे. बता दें कि सदियों पहले शुरू की गई इस परंपरा के तहत दशहरे पर यहां मिट्टी का रावण तैयार किया जाता है. उसके बाद मटके से बने सिर में लाल रंग भर दिया जाता है. गांव के कई लोग रावण के सिर को अपनी बंदूक का निशाना बनाते हैं. इस बार रावण के पुतले पर गांव के चुनिंदा लोगों ने डेढ़ सौ फीट दूर से निशाना साधकर रावण के सिर को उड़ाने का प्रयास किया. इस पुतले को गांव के कारीगर भैरु दास बैरागी ने बनाया था. बैरागी ने बताया कि मिट्टी के रावण का निर्माण करते हुए उसे 41 साल हो गए हैं.
गौरतलब है कि इस बार गांव के रावला चौक स्थित रामजानकी मंदिर से भगवान की शोभायात्रा ढोल नगाड़ो के साथ निकली, जो कि स्कूल प्रांगण में जाकर रुकी. जिसके बाद राम और रावण के बीच संवाद हुआ और तीखे भाले से रावण का नाक भेदन किया गया. इस बार गांव के ठिकाने के वशंज महेन्द्र सिंह सिसोदिया ने रावण के पुतले की नाक को भाले से बींधा.
इसके बाद रावण के पुतले पर गोलियों की बौछार शुरू हो जाती है. जिस व्यक्ति की बंदूक से रावण का सिर को फूटता है, वह इस जीत का सेहरा पहनाता है. लोग उसको कंधे पर उठाकर रावण वध की खुशियां मनाते हैं.