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पाली: मारवाड़ जंक्शन में रैगर समाज के युवाओं ने ली मृत्युभोज ना करने की शपथ - पाली के खारची गांव में प्रदर्शन

पाली के मारवाड़ जंक्शन में रैगर समाज के युवाओं ने मृत्यु भोज नहीं कराने की शपथ ली है. वहीं खारची गांव में ग्रामीणों ने सरकारी स्कूल को हिंदी मीडियम में रखने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया.

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माड़वाड़ जंक्शन में रैगर समाज की बैठक

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Published : Jul 21, 2020, 3:46 PM IST

मारवाड़ जंक्शन (पाली). अखिल भारतीय रैगर महासभा के जिलाध्यक्ष की उपस्थिति में रैगर समाज की बैठक हुई. मीटिंग में सामाजिक कुरीतियों पर विशेष बल देते हुए इसे पूर्णतया बंद करने का संकल्प लिया गया. सर्वसम्मति से सभी समाज के बन्धुओं ने समर्थन कर मृत्युभोज नहीं करने की शपथ ली.

अखिल भारतीय रैगर महासभा के जिला प्रवक्ता रामलाल चौहान ने बताया कि शहर अध्यक्ष विनोद कुमार भंसाली व जिला महासचिव गोविंद तुनगरिया ने इस बैठक का संचालन किया. अखिल भारतीय रैगर महासभा के जिलाध्यक्ष आदित्य मौर्य ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरितियों को जड़ से खत्म करने के लिए युवाओं को बीड़ा उठाना पड़ेगा और गांव-गांव जाकर लोगों को जागृत करना होगा. इसके साथ ही जिलाध्यक्ष ने जिलास्तर पर सर्व सुविधा युक्त लाइब्रेरी का निर्माण करने का भी आह्वान किया है.

खारची के ग्रामीणों ने CM के नाम सौंपा ज्ञापन

मारवाड़ जंक्शन उपखंड पर खारची गांव के सरपंच और सैकड़ों ग्रामीणों ने खारची गांव में भारी विरोध प्रदर्शन किया. ग्रामीणों की मांग है कि गांव में संचालित राजकीय सीनियर उच्च माध्यमिक विद्यालयहिंदी माध्यम को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील न किया जाए. इसको लेकर सैकड़ों की तादाद में सरपंच, जनप्रतिनिधि और ग्रामवासियों ने आक्रोश रैली निकालकर ब्लॉक शिक्षा कार्यालय मारवाड़ जंक्शन पर 2 घंटे लगातार नारेबाजी की.

खारची के ग्रामीणों का प्रदर्शन

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ग्रामीणों का कहना है कि खारची गांव का यह विद्यालय कई वर्षों से संचालित है. यहां 424 छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं. राज्य सरकार ने आनन-फानन में इस विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में कर दिया है. यह अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के साथ अन्याय और धोखा है. ग्रामीणों ने इस विद्यालय को हिंदी माध्यम ही रखने की मांग को लेकर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को राज्यपाल के नाम और शिक्षा मंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा है.

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गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही उपखंड अधिकारी को इस बाबत ज्ञापन दिया था, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वहीं ग्रामीणों ने हिंदी माध्यम की जगह अंग्रेजी माध्यम के आदेश वापस नहीं लेने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी.

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