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पाली में मौसम का हाल: बर्फीली हवाओं ने गलन और ठिठुरन बढ़ाई, जानिए कैसे बचा जाए पाले से

पाली में बर्फीली हवाओं ने गलन और ठिठुरन काफी बढ़ा दी है. जिले में मंगलवार की बात करें तो यहां 5 से 9 किमी की रफ्तार से सर्द हवाएं चली, जिसका असर बुधवार सुबह पाली के आसपास के कृषि क्षेत्रों में नजर आया.

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बर्फीली हवाओं ने गलन और ठिठुरन बढ़ाई

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Published : Jan 15, 2020, 7:50 AM IST

पाली.शीत हवाओं से जहां फसलों पर ओस जम रही है. वहीं लोगों को भी इस सर्दी से बचने के लिए घरों में दुबक कर रहना ही उचित लग रहा है. मंगलवार की बात करें तो पाली में दिनभर शीत हवाओं का दौर चला. इन शीत हवाओं से लोगों की सेहत पर तो असर नजर आया. लेकिन, इन शीत हवाओं ने अन्नदाताओं को भी चिंता में डाल दिया.

बर्फीली हवाओं ने गलन और ठिठुरन बढ़ाई

पाली में चल रही इन सर्द हवाओं के चलते फसलों पर पाला गिरने की संभावना खासी बढ़ चुकी है. ऐसे में इन ड्रफनी हवाओं के बीच अन्नदाता अपने खेतों में फसलों की सुरक्षा करते नजर आए.

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मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को दिनभर पूरा मौसम गलन भरा रहा. तेज सर्द हवाओं ने लोगों के जनजीवन को प्रभावित किया. वहीं फसलों पर भी इसका असर आने की आशंका जताई जा रही है. मंगलवार को जिले का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री दर्ज किया गया. वहीं अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. दिनभर सर्द हवाओं के चलते यह तापमान ऊपर नीचे होता रहा.

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इधर, इन सर्द हवाओं के चलते कृषि विशेषज्ञ ने किसानों को अपनी फसलों का ख्याल रखने के लिए कहा है. वहीं डॉक्टरों ने बच्चों और बुजुर्गों को इस सर्दी में विशेष तौर पर अपनी सेहत का ख्याल रखने की बात कही है.

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में जब तापमान जमाव बिंदु पर पहुंच जाता है, उस समय पाला पड़ता है. पाला पड़ने की संभावना उस समय प्रबल हो जाती है, जब लगातार ठंडी हवा चलती है. इस हवा के धीरे-धीरे चलने से रात में तापमान में काफी गिरावट आ जाती है और रात के तीसरे पहर में या सुबह आकाश साफ होने के साथ ही हवा में आद्रता कम होने से पाला गिरना शुरू होता है.

इन फसलों पर पड़ता है असर...

​​​​​​​पाले से गेहूं मटर और जौ पर कम असर पड़ता है. वहीं सरसों, चना, अरंडी, जीरा और हरी सब्जियां जैसे आलू, टमाटर और बैंगन की फसलें ज्यादा प्रभावित होती हैं. साथ ही पपीता आंवला और नए पौधों पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ता है. पहले से ही पौधों की पत्तियां और फूल मुरझा जाते हैं तथा पौधा झुलसकर बदरंग हो जाता है. इसके अलावा फलीदार पौधे के दाने से कूदकर चपटे और काले हो जाते हैं.

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