पाली. जिले में मानसून की बेरुखी के चलते जनता को पीने का पानी उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन का पसीना निकलता जा रहा है. अब लोगों की आस्था पाली जिला प्रशासन की आफत को और बढ़ाती नजर आ रही है. प्रशासन इस समस्या से निजात पाने के लिए अंदर ही अंदर कोशिश भी कर रही है. लेकिन लोगों की आस्था का सवाल होने से प्रशासन भी चुप्पी साधे बैठा है.
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गणेश चतुर्थी से पहले जिले भर में पीओपी से गणेश प्रतिमाओं को बनाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. हर मार्ग पर प्रतिमा बनाने वाले, पीओपी से गणेश की सैकड़ों प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं. जिन्हें गणेश चतुर्थी पर लोग आस्था के साथ अपने घरों और मोहल्लों में विराजित करवाएंगे. यहां तक तो सब ठीक है लेकिन इन प्रतिमाओं के विसर्जन के सवाल पर काफी चिंता बनी हुई है. जिले में लोगों की हलक तर करने के लिए भी प्रशासन को एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. ऐसे में अब जिले भर में विराजित की जाने वाली हजारों प्रतिमाओं को विसर्जित करने के लिए पानी की व्यवस्था एक बड़ी चुनौती साबित होने वाला है.
हलक तर करने के लिए भी पाली में पानी नहीं , अब आस्था बन रही है बड़ा संकट गौरतलब है कि पीओपी की प्रतिमाओं का उपयोग रोकने के लिए प्रशासन की ओर से गणेश चतुर्थी और नवरात्री के समय जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं. लेकिन इसके बाद भी इन पीओपी की प्रतिमाओं का उपयोग लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इन प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए भी प्रशासन को मजबूरन पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है. पाली शहर की बात करें तो यहां भी इन प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए सिटी टैंक के एक तरफ का हिस्सा छोड़ा गया है. यहां इन सभी पीओपी की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है.
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जहां लगातार प्रतिमाओं के विसर्जन के चलते यहां के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा ना के बराबर हो गई है. जलदाय विभाग ने भी ऐसा पानी जनता को सप्लाई करने से इनकार कर दिया है. ऐसे में लोगों के पीने के लिए भी पानी नहीं होता है. तो इन प्रतिमाओं का विसर्जन करने के लिए प्रशासन पानी की व्यवस्था कहां से करेगा. सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इस पानी का फिर से उपयोग भी नहीं किया जा सकता है.